Ranchi: Fodder Scam चारा घोटाले एक मामले में लालू प्रसाद की ओर से पशुपालन के तत्कालीन संयुक्त निदेशक डा रामराज राम के नियुक्ति को लेकर बहस की गई। सीबीआई के विशेष न्यायाधीश एसके शशि की अदालत में लालू के अधिवक्ता प्रभात कुमार ने कहा कि सीबीआई का यह आरोप पूरी तरह से गलत है कि लालू प्रसाद ने डा. रामराज्य राम को पशुपालन विभाग का संयुक्त निदेशक बनाया था।
उनकी ओर से कोर्ट में इससे संबंधित दस्तावेज पेश किया, जिसमें वर्ष 1988 में रामराज राम की तत्कालीन मुख्यमंत्री भागवत झा आजाद के समय में नियुक्ति की बात कही गई है। इस पर नियुक्ति के लिए वरीयता को लेकर विवाद था, जिसमें पटना हाई कोर्ट ने डा रामराज राम को वरीयता सूची में सबसे ऊपर रखने का आदेश दिया था।
इसके खिलाफ राम शरण शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली थी। सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने पूरे मामले में वर्ष 1995 तक स्टेट को (यथास्थिति) बनाए रखने का आदेश दिया। ऐसी स्थिति में कोई भी उनकी नियुक्ति की न तो अनुशंसा कर सकता है और न ही उन्हें पद से हटा सकता था।
ऐसे में इस मामले में लालू प्रसाद पूरी तरह से निर्दोष हैं। विशेष लोक अभियोजक बीएमपी सिंह ने बताया कि मामले के आरोपित ट्रेजरी ऑफिसर महेंद्र प्रसाद एवं डीपी श्रीवास्तव की ओर से उनके वकीलों ने दलीलें रखी। मामले में अब तक 74 आरोपितों की ओर से बहस पूरी हो चुकी है। डोरंडा कोषागार से 139.35 करोड़ रुपये की अवैध निकासी मामले में लालू प्रसाद समेत 112 आरोपी मुकदमे का सामना कर रहे हैं।
चारा घोटाले के एक अन्य मामले में दो आरोपितों का बयान दर्ज
चारा घोटाले के एक अन्य मामले में सीबीआई के विशेष न्यायाधीश विशाल श्रीवास्तव की अदालत में आरोपित डा रमन कुमार सिन्हा एवं डा उमाकांत यादव का बयान दर्ज किया गया। अदालत ने घोटाले से संबंधित प्रश्न पूछा, जिस पर आरोपितों ने अपने आप को निर्दोष बताया।
विशेष लोक अभियोजक रवि शंकर ने बताया कि अब तक सात आरोपितों का बयान दर्ज किया जा चुका है। बता दें कि डोरंडा कोषागार से 36.59 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध निकासी से जुड़े मामले में पूर्व विधायक व आपूर्तिकर्ता गुलशन लाल आजमानी, मो. सईद का परिवार, राधा रमन सहाय सहित करीब 140 आरोपितों का बयान दर्ज किया जाना है।