Ranchi: Court News झारखंड हाईकोर्ट ने एकबार फिर से सरकार और रिम्स की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया है। अदालत ने जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन की खरीदारी में देरी होने पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि जब लोग श्मशान पहुंचने लगते हैं, तो सरकार नींद से जागती है। प्रतीत होता है कि अदालत ही सरकार को हर काम के लिए निर्देश देगी।
चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत रिम्स में कोरोना संक्रमण के निपटने के लिए हालात को लेकर सुनवाई कर रही थी। रिम्स की ओर से कहा गया कि चार जनवरी को रिम्स में ईको कार्डियोग्राफी मशीन संचालित कर दी गई है। जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन की खरीदारी की प्रक्रिया की जा रही है।
इस पर अदालत ने नाराजगी जताते हुए कहा कि राज्य में कोरोना की तीसरी लहर आ गई है। राज्य में पूरी तरह से ओमिक्रोन फैल जाएगा तो मशीन की खरीदारी होगी। रिम्स ने कहा कि जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन की खरीदारी करने के लिए एचआरएचएम के जरिए होनी है। इस पर सरकार का अधिकार है।
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अदालत ने सरकार से पूछा तो कहा गया कि 29 दिसंबर को जीनोम सिक्वेसिंग मशीन खरीदने का आदेश दिया गया है। अदालत ने इसकी विस्तृत जानकारी सरकार से मांगी है। अदालत ने रिम्स के अधिवक्ता से पूछा कि कोर्ट के आदेश के बाद भी अभी तक रिम्स में जनऔषधि केंद्र क्यों नहीं खुला है।
दो माह से गरीब जनता बाहर से दवा खरीदने को मजबूर है। जन औषधि पर हर बार रिम्स की ओर से एक नई कहानी सुनाई जाती है। अभी तक सिर्फ दवा आपूर्तिकर्ता के साथ एग्रीमेंट की बात कही जा रही है। अदालत ने कहा कि किसी भी हाल में एक सप्ताह अंदर में रिम्स में जन औषधि केंद्र शुरू की जाए।
इसकी जानकारी कोर्ट को भी दी जाए। हालांकि इस दौरान अदालत ने आदेश का अनुपालन नहीं किए जाने पर रिम्स पर पचास हजार रुपये का हर्जाना लगाने की बात कही। रिम्स के अधिवक्ता के आग्रह पर अदालत ने हर्जाने से छूट प्रदान कर दी। लेकिन जल्द ही जनऔषधि केंद्र खोले जाने का निर्देश दिया।