Ranchi: Court News झारखंड हाईकोर्ट से अनियमितता के मामले में विभागीय कार्रवाई का सामना कर रहे लोहरदगा के तत्कालीन डीएमओ (जिला खनन पदाधिकारी) को बड़ी राहत मिल गई है। जस्टिस दीपक रौशन की अदालत ने डीएमओ को राहत देते हुए विभागीय कार्रवाई के आदेश को निरस्त कर दिया है।
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि विभागीय कार्रवाई पूरी तरह से अवैध है क्योंकि इस मामले में राज्य सरकार ने सेवानिवृत्त अधिकारी को जांच पदाधिकारी बना दिया। जबकि ऐसा करना सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं है। इसको लेकर एसएन विद्यार्थी ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
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सुनवाई के दौरान प्रार्थी के अधिवक्ता रुपेश सिंह ने अदालत को बताया कि प्रार्थी पर वर्ष 2013 में विभागीय कार्रवाई शुरू की गई। इन पर आरोप था कि इन्होंने खनन परमिट धारक के पास अनुज्ञप्ति होने के बाद प्रक्रिया में अवरोध पैदा करते थे। साथ ही इन पर वित्तीय अनियमितता का भी मामला बनता है।
वर्ष 2014 में विभागीय कार्रवाई दोषी करार देते हुए इनके वेतनमान में तीन बढोतरी पर रोक लगाने की सजा दी गई। विभागीय कार्रवाई के दौरान तीन बार जांच पदाधिकारी बदले गए। इसके अलावा प्रार्थी का पक्ष भी नहीं सुना गया, जो नैसर्गिक न्याय के खिलाफ है। इसलिए आदेश को निरस्त किया जाए। इसके बाद अदालत ने प्रार्थी के खिलाफ की गई विभागीय कार्रवाई को निरस्त कर दिया।