Court News: इसे आवेश कहें या नादानी… जिसके कारण हुए एक हादसे के कारण 18 साल के युवक को 23 साल कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाने पड़े। 2001 में 1 रुपये के विवाद के कारण हुए हादसे में व्यक्ति की मौत के कारण 2 साल 10 माह की सजा झेलने वाले व्यक्ति की काटी गई सजा को काफी मानते हुए पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने उसे रिहा करने का आदेश दिया है।
याचिका दाखिल करते हुए चंडीगढ़ निवासी राजू गुरांग ने बताया कि उसके खिलाफ 13 अप्रैल, 2001 को गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया गया था। प्राथमिकी के अनुसार वह विजय कुमार की फड़ी पर गया था और वहां पर उसने सिगरेट ली।
एक रुपये के लिए हुई हाथापाई में चली गई थी जान
इसके बाद तंबाकू की पुड़िया ली, जिसके लिए विजय ने एक रुपया मांगा। याची के पास खुले पैसे नहीं थे तो इसके चलते विजय ने पुड़िया वापस मांग ली। इस पर दोनों में बहस हुई जो हाथापाई में बदल गई। इस दौरान याची ने उसे लात मारी और वह पत्थर पर जा गिरा। उसके मुंह से खून निकल रहा था। उसे सेक्टर 16 के अस्पताल में भर्ती करवाया गया। बाद में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी।
21 साल बाद अपील पर सुनवाई
पुलिस ने शिकायत के आधार पर एफआईआर दर्ज की थी और शव का पोस्टमार्टम करवाया गया। डॉक्टरों ने मौत का कारण सिर पर लगी गंभीर चोट बताया था। 2003 में चंडीगढ़ की ट्रायल कोर्ट ने याची को गैर-इरादतन हत्या का दोषी मानकर पांच साल की सजा सुनाई थी। याची ने सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील कर दी थी जो हाईकोर्ट में बीते 21 साल से विचाराधीन थी। इसी बीच याची ने हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल कर अपील लंबित रहते सजा निलंबित करने की मांग की थी।
हाईकोर्ट ने कहा-यह गैर इरादतन हत्या का मामला नहीं
अपराध में अधिकतम सजा 5 वर्ष की थी और याची 2 साल 10 माह की सजा काट चुका था, ऐसे में हाईकोर्ट ने याची की सजा को निलंबित कर दिया था। हाईकोर्ट ने अपील पर अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि याची ने किसी हथियार का इस्तेमाल नहीं किया था और न ही उसे पता था कि उस वार से विजय कुमार की मौत हो जाएगी।
यह गैर-इरादतन हत्या का मामला नहीं बनता, बल्कि गंभीर हमले और चोट पहुंचाने का मामला बनता है। ऐसे में हाईकोर्ट ने 5 साल की सजा के आदेश को रद्द कर दिया और याची को 1 साल की सजा सुनाई क्योंकि याची 2 साल 10 माह की सजा पहले ही काट चुका है तो ऐसे में हाईकोर्ट ने उसकी काटी गई सजा को ही काफी मानते हुए उसे रिहा करने का आदेश दिया है।