Ranchi: Encroachment on Water Sources रांची के नदियों और जलाशयों के आसपास अतिक्रमण को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत ने एक मीडिया रिपोर्ट पर कहा कि गरीब लोगों के मकान तोड़ने से पहले उनके पुनर्वास की व्यवस्था राज्य सरकार को करनी चाहिए।
इसके बाद अदालत ने 15 अक्टूबर तक अतिक्रमण पर रोक लगा दिया। अदालत ने कहा कि लेकिन जिला प्रशासन और रांची नगर निगम को अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया को चालू रखना होना यानी उन्हें अतिक्रमणकारियों को भेजे गए नोटिस पर सुनवाई का मौका देना होगा, ताकि वे उचित फोरम में अपनी बात रख पाएं।
चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा अदालत कभी निर्मम नहीं हो सकती है। बरसात और कोरोना काल में घर टूटने वाले गरीबों के साथ कोर्ट की सहानुभूति है। लेकिन रांची शहर को बचाने के लिए अदालत अतिक्रमण हटाने की पक्षधर है और ऐसा ही होगा।
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अदालत ने कहा कि रांची शहर बिना प्लान के बस गया है। लोगों को जिवित रहने के लिए प्रकृति की भी रक्षा करनी होगी। यदि हवा, पानी और भूमि को संरक्षित नहीं किया गया तो आने वाले भविष्य का सत्यानाश हो जाएगा। रांची शहर और राज्य की भलाई के लिए अदालत अतिक्रमण करने वालों से कोई समझौता नहीं करेगी।
लेकिन कोर्ट के आदेश के बाद अतिक्रमण के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान के दौरान नगर निगम और जिला प्रशासन को गरीबों को ज्यादा समय देना चाहिए। बिना मौका दिए ही गरीबों का घर नहीं तोड़ना चाहिए। जिससे की उन्हें ऐसा नहीं लगे कि गरीबों के अलग और अमीरों के अलग न्याय है। सभी के खिलाफ समान कार्रवाई होनी चाहिए।
अदालत ने कहा कि अतिक्रमण करने वाले अमीर लोगों पर पहले कार्रवाई किया जाए। जिन लोगों ने जलस्रोतों पर अतिक्रमण किया है उन्हें हटना तो पड़ेगा लेकिन कोरोना और मानसून में गरीब कहां जाएंगे। इसलिए अदातल मानसून और कोरोना काल को देखते हुए 15 अक्टूबर तक अतिक्रमण हटाने पर रोक लगाया जा रहा है।
सुनवाई के दौरान अदालत ने सरकार से पूछा कि अतिक्रमण हटाने के अभियान से प्रभावित लोगों को बसाने के लिए सरकार की क्या योजना है। इस पर नगर विकास विभाग के सचिव ने अदालत को बताया कि ऐसे लोगों को बसाने के लिए सरकार के प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पुनर्वास किया जा सकता है। ऐसे लोगों को इसका लाभ दिया जा सकता है।