Ranchi: Assistant Professor Appointment बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर सह कनीय वैज्ञानिक के पदों पर संविदा के आधार पर होने वाली नियुक्ति पर झारखंड हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। हाईकोर्ट के जस्टिस डॉ एसएन पाठक की अदालत ने कहा कि संविदा पर पहले से नियुक्ति को दूसरी संविदा के आधार पर नहीं हटाया जा सकता है।
बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर की संविदा के आधार पर नियुक्ति के लिए मंगलवार और बुधवार को साक्षात्कार लेने की प्रक्रिया की जानी है। इसको लेकर संविदा पर काम करने वाले डॉ संजीत कुमार व 13 अन्य की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है।
सुनवाई के दौरान अधिवक्ता चंचल जैन ने अदालत को बताया कि प्रार्थी वर्ष 2015 से ही संविदा के आधार पर बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर सह कनीय वैज्ञानिक के पद पर काम कर रहे हैं। लेकिन विश्वविद्यालय ने 11 अक्टूबर को विज्ञापन जारी कर फिर से संविदा पर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
सुप्रीम कोर्ट और झारखंड हाईकोर्ट के कई आदेशों के तहत संविदा के आधार पर पहले से नियुक्त हुए लोगों को दोबारा संविदा के आधार पर नहीं हटाया जा सकता है, जब तक की नियमित नियुक्ति नहीं की जाती है। इसके बाद अदालत ने नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगा दी और विश्वविद्यालय से चार सप्ताह में जवाब मांगा है।
बता दें कि इससे पहले विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर की संविदा पर नियुक्ति के मामले में सुनवाई करते हुए सोमवार को इसी अदालत ने राज्य सरकार के खिलाफ कड़ी टिप्पणी की थी। अदालत ने कहा था कि राज्य को बने बीस साल से ज्यादा हो गए हैं, लेकिन महत्वपूर्ण पदों पर संविदा के जरिए नियुक्ति होना सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन है।