High Court News : झारखंड हाई कोर्ट जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत ने एक मामले में सुनवाई करते हुए राज्य के महाधिवक्ता राजीव रंजन और अपर महाधिवक्ता सचिन कुमार के खिलाफ अवमानना से जुड़े मामले को चीफ जस्टिस के पास भेजते हुए इस पर वृहद बेंच में सुनवाई करने का आग्रह किया है।
अदालत ने हजारीबाग के मंसूर के मामले में पारित आदेश में कहा है कि कोर्ट के समक्ष अवमानना से जुड़ा एक मामला आया है। इस मामले में डीजीपी की ओर से गलत जानकारी देते हुए अदालत को गुमराह करने का प्रयास किया गया है। एकलपीठ इसमें स्वत: संज्ञान लेकर आपराधिक अवमानना का मामला चलाना चाहती है, लेकिन इसके पहले भी अदालत ने महाधिवक्ता राजीव रंजन और अपर महाधिवक्ता सचिन कुमार के खिलाफ अवमानना का मामला चलाने के लिए खंडपीठ के पास भेजा था।
खंडपीठ ने खारिज की थी अवमानना
खंडपीठ ने इस याचिका पर सुनवाई करने के बाद कहा था कि एकलपीठ इस तरह के मामले में स्वत:संज्ञान लेकर आपराधिक मामला दर्ज नहीं कर सकती। इसके साथ ही खंडपीठ ने अवमानना का मामला चलाने के एकलपीठ के आदेश को निरस्त कर दिया और कहा था कि यह अवमानना का मामला नहीं बनता। एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह के मामले में भी अपना फैसला सुनाया है।
हाई कोर्ट के आदेश में विरोधाभाष
सुप्रीम कोर्ट के आदेश और झारखंड हाई कोर्ट के आदेश में विरोधाभास है। इसलिए अदालत महाधिवक्ता के मामले को चीफ जस्टिस के पास भेजती है ताकि वृहद बेंच में इस पर सुनवाई करने के बाद यह तय किया जाए कि एकलपीठ को इस तरह का अवमानना का मामला चलाने का अधिकार है या नहीं। महाधिवक्ता से जुड़े मामले में वृहद बेंच के गठन और इस मामले में चीफ जस्टिस के आदेश तत अदालत डीजीपी से जुड़े मामले की सुनवाई स्थगित रखेगी।