रांची। झारखंड हाईकोर्ट से सिदो-कान्हो विश्वविद्यालय, दुमका के डिप्टी रजिस्ट्रार शंभु प्रसाद सिंह को बड़ी राहत मिली है। जस्टिस रंगोन मुखोपाध्याय की अदालत ने उन्हें जमानत की सुविधा प्रदान कर दी है। अदालत ने उन्हें दस-दस हजार रुपये के दो निजी मुचलके पर उन्हें रिहा करने का आदेश दिया है। सीबीआई कोर्ट से जमानत खारिज होने के बाद शंभु प्रसाद ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर जमानत की गुहार लगाई थी। 13 जून 2020 को सीबीआई ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।
सुनवाई के दौरान शंभु प्रसाद सिंह की ओर से वरीय अधिवक्ता एके कश्यप व अनुराग कश्यप ने अदालत को बताया कि जेपीएससी ने इन्हें सिदो-कान्हो विश्वविद्यालय, दुमका का डिप्टी रजिस्ट्रार बनाने की अनुशंसा भेजी थी। विवाद के बाद चांसलर की ओर से पूरे मामले की जांच की गई और उसके बाद इन्हें उक्त पद पर नियुक्त करने का आदेश जारी किया गया। वर्ष 2008 में इन्होंने चांसलर के आदेश के बाद ज्वाइन किया। इसके बाद वर्ष 2012 में सीबीआइ ने जेपीएससी मामले की जांच शुरू की।
जांच के बाद सीबीआइ कोर्ट में इनके खिलाफ चार्जशीट भी दाखिल किया गया। इसमें आरोप लगाया गया कि इनके भाई गोपाल प्रसाद सिंह के सदस्य थे और इसकी वजह से इन्हें दो अंक ज्यादा दिया गया था। अदालत के बताया गया कि इनके क्वालिफिकेशन और व्याख्याता कार्य के अनुभव देखते हुए ही चांसलर ने नियुक्त करने का आदेश दिया है। ऐसे में इनपर लगाए गए सभी आरोप बेबुनियाद है। इसको देखते हुए अदालत ने इन्हें जमानत की सुविधा प्रदान कर दी।
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