रांचीः झारखंड हाईकोर्ट ने नेशनल राइफर शूटर तारा शाहदेव प्रकरण में सजायाफ्ता रंजीत सिंह कोहली को राहत देने से इनकार किया है। उसकी ओर से दाखिल जमानत अर्जी हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। पिछले दिनों सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोहली को रांची सिविल कोर्ट स्थित सीबीआई के विशेष न्यायाधीश पीके शर्मा ने धर्म परिवर्तन, यौन उत्पीड़न व दहेज प्रताड़ना समेत अन्य आरोप में दोषी पाकर अंतिम सांस तक जेल में रहने की सजा सुनाई थी। इसी को हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए अपील दाखिल की थी। जिसे कोर्ट ने खारिज कर दी है। इससे उसको जबरदस्त झटका लगा है।
सीबीआई कोर्ट ने पांच अक्तूबर 2023 को रंजीत सिंह कोहली को 120बी(आपराधिक साजिश रचने), सह पठित 376(2)(एन)(महिला को कब्जे में लेकर बार-बार जबरदस्ती बलात्कार करना) , 298(धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना) 323 (मारपीट करना), 496(जबरदस्ती विवाह या कपटपूर्ण विवाह करना) एवं 506(गाली-गलौज करना) में दोषी पाकर सजा सुनाई थी।
मामले में रंजीत कोहली की ओर से बहस में कोर्ट को बताया गया था कि वह पति-पत्नी के रूप में थे इसलिए उनके खिलाफ बलात्कार का मामला नहीं बनता है। इसलिए उन्हें जमानत की सुविधा प्रदान की जाए। इस मामले में पूर्व में झारखंड हाईकोर्ट से रंजीत सिंह कोहली की मां कौशल रानी और बर्खास्त रजिस्ट्रार विजिलेंस मुश्ताक अहमद को जमानत मिल चुकी है।
गौरतलब है कि मामले में मुख्य आरोपी रंजीत सिंह कोहली उर्फ रकीबुल के अलावा हाईकोर्ट के पूर्व रजिस्ट्रार (विजिलेंस) बर्खास्त मुश्ताक अहमद एवं कोहली की मां कौशल रानी ट्रायल फेस कर रहे है। इन तीनों आरोपियों के खिलाफ दो जुलाई 2018 को आरोप गठित किया गया था। सीबीआई ने वर्ष 2015 में केस को अपने हाथों में लिया था। रंजीत कोहली एवं तारा शाहदेव की शादी 7 जुलाई 2014 को हुई थी। लेकिन शादी के कुछ माह बाद उसे धर्म परिवर्तन करने के लिए प्रताड़ित किया गया। कोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ दो जुलाई 2018 को आरोप गठित किया था। सीबीआई ने इस केस को वर्ष 2015 में टेक ओवर किया था। रांची के हिंदपीढ़ी थाना में दर्ज प्राथमिकी को सीबीआई ने अपने हाथों में लिया था।