राजधानी रांची में खुलेआम प्रतिबंधित मांस की बिक्री पर झारखंड हाईकोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई है। कोर्ट ने कहा कि ऐसा करना दुर्भाग्यपूर्ण है। पूर्व में सरकार की ओर से कई बार कोर्ट में शपथ पत्र दाखिल किया गया था। लेकिन इसकी जानकारी नहीं दी गई। प्रतीत होता है कि अदालत से तथ्यों को छुपाया जा रहा था। अदालत ने मामले में राज्य सरकार से जवाब मांगा है। मामले को लेकर दाखिल याचिका पर 7 अगस्त को झारखंड हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस एसएन प्रसाद व जस्टिस एके राय की खंडपीठ में सुनवाई के दौरान कही। अदालत ने राज्य सरकार से पूछा कि रांची में प्रतिबंधित मांस बेचे जाने एवं उसे काटे जाने के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है। अदालत ने रांची एसएसपी को इसपर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। मामले में अगली सुनवाई 13 अगस्त को होगी।
इससे पहले प्रार्थी के अधिवक्ता शुभम कटारूका की ओर से अदालत को बताया गया कि डोरंडा के कुछ मोहल्लों में खुलेआम प्रतिबंधित मांस की बिक्री की जाती है। उनकी ओर से इससे संबंधित कई फोटोग्राफ भी अदालत में प्रस्तुत किया गया। इस पर अदालत ने रांची एसएसपी से पूछा है कि झारखंड गो जातीय पशु वध निषेध अधिनियम 2005 के तहत क्या कार्रवाई की गई है। इतने दिनों से ऐसा किया जा रहा है, तो क्या जिला प्रशासन या पुलिस को इसकी जानकारी नहीं थी। कोर्ट ने मौखिक कहा कि खुलेआम रांची में प्रतिबंधित मांस की बिक्री हो रही है। इस बात को कोर्ट से छुपाया गया है।
इससे पहले सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि रांची शहर में अवैध रूप से संचालित 70 से अधिक मीट शाप विक्रेताओं पर कार्रवाई की गई है। बता दें कि श्यामानंद पांडेय की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर रांची सहित राज्य में दुकानों पर मांस का प्रदर्शन करने का मुद्दा उठाया है। ऐसा करना एफआइसीसीआइ के नियमों का उल्लंघन है। दुकानदारों को काले शीशे से मांस को ढकना है। इसके अलावा कई नियमों बनाए गए है, लेकिन राज्य में इसका पालन नहीं हो रहा है।