सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पेपर लीक का दायरा व्यापक नहीं था और यह झारखंड के हजारीबाग और बिहार के पटना तक ही सीमित था। कोर्ट ने राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) को परीक्षा प्रणाली सुधारने का निर्देश दिया। अदालत ने यह भी कहा कि परीक्षा तभी रद्द हो सकती है जब प्रणालीगत स्तर पर इसकी पवित्रता प्रभावित हुई हो।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने नीट-यूजी 2024 के परिणाम को रद्द करके दोबारा से परीक्षा आयोजित कराने की मांग वाली याचिकाओं को खारिज किए जाने के लिए विस्तार से कारण बताते हुए शुक्रवार को यह फैसला दिया।
समिति का अधिकार क्षेत्र बढ़ाया पीठ ने फैसले में कहा है कि एनटीए को इस मामले में की गई अनियमितता से बचना चाहिए। पीठ ने केंद्र सरकार द्वारा एनटीए की कार्यप्रणाली की समीक्षा करने और परीक्षा सुधारों की सिफारिश करने के लिए पूर्व इसरो प्रमुख के राधाकृष्णन की अगुवाई वाली समिति के अधिकार क्षेत्र का विस्तार कर दिया।
रिपोर्ट पेश करने के लिए दो महीने का समय पीठ ने कहा कि परीक्षा प्रणाली में कमियों को दूर करने और भविष्य में किसी भी परीक्षा में कोई कदाचार नहीं हो, यह सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न उपायों के बारे में समिति 30 सितंबर तक अपनी रिपोर्ट पेश करे। शीर्ष अदालत ने समिति को परीक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए तकनीकी प्रगति को अपनाने के साथ ही मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) भी तैयार करने के लिए कहा है। इस दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि नीट-यूजी के दौरान जो मुद्दे उठे हैं, उन्हें केंद्र सरकार द्वारा ठीक किया जाना चाहिए।
पहले ही मांग खारिज कर दी थी मालूम हो कि पीठ ने 23 जुलाई को एनटीए द्वारा आयोजित नीट-यूजी 2024 को रद्द करके, दोबारा परीक्षा कराने की मांग को खारिज कर दिया था।
कोर्ट ने कमियां गिनाईं
- प्रश्नपत्र की सुरक्षा में गंभीर चूक की गई, ई-रिक्शा और कूरियर सेवा से पेपर को ले जाया गया
- एक ही सवाल के दो सही उत्तर बताकर अंक देना, इससे टॉपर की लिस्ट से 44 छात्र बाहर हो गए
- ओएमआर शीट को सील करने के लिए समय तय नहीं, निगरानी नहीं
- परीक्षा केंद्रों पर गलत प्रश्नपत्र बांटा, इससे अव्यवस्था की स्थिति बनी