ओल्ड राजेंद्र नगर के कोचिंग सेंटर में हुए हादसे पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार, नगर निगम और पुलिस पर सख्त टिप्पणियां कीं। अदालत ने कहा कि अजीब ही जांच चल रही है, जिसमें सड़क पर कार चलाने वाले के खिलाफ पुलिस कार्रवाई कर रही है, लेकिन नगर निगम अधिकारियों के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया जा रहा। कोर्ट ने संकेत दिया कि मामले की जांच सीवीसी, सीबीआई या लोकपाल जैसी केंद्रीय एजेंसी से करवाई जा सकती है।
मुफ्तखोरी की संस्कृति के कारण घटनाएं
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन एवं न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने विभिन्न एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर चिंता जाहिर की है। अदालत ने मुफ्त में दी जा रही सुविधाओं पर भी टिप्पणी की। न्यायालय ने कहा कि जब मुफ्तखोरी की संस्कृति के कारण कर (टैक्स) संग्रह नहीं होता है तो ऐसी दुर्घटनाएं होनी तय हैं। पीठ ने कहा कि बहुमंजिला इमारतों को चलने दिया जा रहा है, लेकिन उचित जल निकासी नहीं है। पीठ ने कहा कि आप मुफ्तखोरी की संस्कृति चाहते हैं। कर संग्रह नहीं करना चाहते तो ऐसा होना तय है। अधिकारियों पर कटाक्ष करते हुए पीठ ने कहा कि उन्हें बुनियादी ढांचे का निर्माण करने की जरूरत है, लेकिन वे दिवालिया हैं। निगम का यह हाल है कि वह अपने कर्मचारियों को वेतन भी नहीं दे सकता है।
सभी जिम्मेदार हैं पीठ ने यह भी कहा कि इस घटना के लिए सभी हितधारक जिम्मेदार हैं। हम सभी शहर का हिस्सा हैं। यहां तक की नाले खुलने और बंद होने का कारण भी हम ही हैं क्योंकि हम अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन नहीं कर रहे हैं। अंतर सिर्फ यह है कि संबंधित प्राधिकरण हादसा होने के बाद एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते हैं। पीठ ने कहा कि अभी पुलिस से अब तक उनके द्वारा उठाए गए कदमों की रिपोर्ट तलब की जा रही है। फिर उसके बाद विचार किया जाएगा कि मामले की जांच केंद्रीयकृत जांच एजेंसी को सौंपी जाए अथवा नहीं।
तीन करोड़ की आबादी, व्यवस्था महज 70 लाख के लिए पीठ ने प्रशासनिक प्रक्रियाओं पर स्पष्टता की कमी की भी आलोचना की। पीठ ने टिप्पणी की कि इस समय दिल्ली की आबादी तीन करोड़ 30 लाख है, जबकि बुनियादी ढांचा महज 70 लाख लोगों का बोझ उठाने के लिए बना है। जब भी बढ़ी आबादी पर बुनियादी ढांचे की बात होती है तो विभिन्न योजनाओं के लिए कैबिनेट की मंजूरी की जरूरत बताई जाती है अथवा विचारार्थ कहा जाता है, लेकिन किसी को भी अगली कैबिनेट बैठक की तारीख नहीं पता होती।