खूंटी में हुए मनरेगा घोटाले में तत्कालीन उपायुक्त पूजा सिंघल की भूमिका की जांच के लिए दायर जनहित याचिका पर सुनवाई जारी रहेगी, लेकिन इस मामले से प्रार्थी अरूण कुमार दुबे और उनके अधिवक्ता राजीव कुमार को हटा दिया गया है।
चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा और जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने बुधवार को फैसला सुनाते हुए कहा कि इस याचिका स्वत: संज्ञान में तब्दील करेगा और सुनवाई के लिए सक्षम बेंच में स्थानांतरित कर दिया। सक्षम बेंच ही अब अमेक्स क्यूरी(न्याय मित्र ) को नियुक्त कर मामले की सुनवाई करेगा।
15 सितंबर को हाईकोर्ट ने याचिका की वैधता पर सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस मामले के प्रार्थी अरूण कुमार दुबे थे और उनकी ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार बहस करते थे। लेकिन अदालत ने प्रार्थी की क्रेडेंशियल (साख) को देखते हुए याचिका खारिज कर दी।
मनरेगा घोटाला में आरोपी हैं पूजा सिंघल
प्रार्थी अरुण कुमार दुबे ने खूंटी में करीब 200 करोड़ के मनरेगा घोटाले का मामला इस याचिका में उठाया था। याचिका में कहा गया है कि इस मामले में खूंटी में 16 प्राथमिकी दर्ज की गयी है। बाद में इसकी निगरानी जांच की गयी, लेकिन एसीबी ने तत्कालीन उपायुक्त पूजा सिंघल की भूमिका की जांच नहीं की।
इसकी ईडी और सीबीआई से जांच कराने का आग्रह प्रार्थी ने किया है। पूर्व में सरकार की ओर से याचिका की वैधता पर सवाल उठाते हुए इसे सुनवाई योग्य नहीं माना था। सरकार की ओर से कहा गया कि याचिका नियमों के अनुसार फाइल नहीं की गयी है। इसलिए याचिका रद कर देनी चाहिए।
प्रार्थी की ओर से अदालत को बताया कि सरकार की दलील उचित नहीं है। याचिका दायर करते समय प्रार्थी ने क्रेडेंशियल दिया है। इस याचिका पर कई बार पूर्व में सुनवाई हुई है और कोर्ट ने इस पर कई आदेश भी जारी किए हैं। अदालत के कई निर्देश दिए जाने के बाद अब यह कहना की याचिका सुनवाई नहीं की जा सकती, सही नहीं है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था ।
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