high court news

हाई कोर्ट की टिप्पणी- पति पर इतना बोझ डालना उचित नहीं कि शादी उसके लिए सजा के समान हो जाए

Jharkhand High Court News: झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस सुभाष चंद की अदालत ने एक पारिवारिक विवाद (शादी) के मामले का निपटारा करते हुए कहा है कि पत्नी को भरण- पोषण करना पति का नैतिक दायित्व है, लेकिन वैवाहिक जीवन को बनाए रखने के लिए पति इतना बोझ डालना उचित नहीं है कि शादी उसके लिए सजा के समान हो जाए।

उक्त टिप्पणी के साथ अदालत ने फैमिली कोर्ट धनबाद के गुजारा भत्ता के आदेश को संशोधित कर दिया। फैमिली कोर्ट ने पति को 40 हजार रुपये भरण-पोषण के लिए पत्नी को देने को निर्देश दिया था, जिसे घटाकर हाई कोर्ट में 25 हजार रुपये कर दिया।

धनबाद फैमिली कोर्ट के आदेश के खिलाफ पति ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुनवाई के दौरान वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार व अपराजिता भारद्वाज ने अदालत को बताया कि प्रार्थी की वर्ष 2018 में विवाह हुआ था। विवाह के कुछ दिनों बाद से ही पत्नी दहेज और घरेलू हिंसा का आरोप लगाने लगी और वह पति का घर छोड़ अपने माता- पिता के साथ रहने लगी।

भरण पोषण के लिए पत्नी ने दिया था आवेदन

इसके बाद उसने भरण- पोषण के लिए फैमिली कोर्ट में आवेदन दिया। पत्नी ने आरोप लगाया था कि उसके पति आर्थिक रूप से समृद्ध व्यवसायी, कोयला और कोक विनिर्माण संयंत्रों सहित कई स्रोतों से पर्याप्त आय अर्जित करतें हैं। उसकी वार्षिक आय 12.5- लाख रुपये होने का अनुमान है।

जिसके बाद धनबाद फैमिली कोर्ट ने यह निर्देश दिया कि पति अपनी पत्नी को 40,000 हजार रुपये मेंटेनेंस (भरण-पोषण ) दें। इसके खिलाफ पति ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की। वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार व अपराजिता भारद्वाज ने अदालत को बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में कई आदेश पारित किए हैं।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश का दिया हवाला

उनका कहना था कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह के मामले में आय के साथ व्यय भी देखना होगा। उसके बाद पति की आय का 25 प्रतिशत तक ही पत्नी को भरण-पोषण के रूप में देने का आदेश दिया जा सकता है। इस मामले में भी पति पर भी आय का 25 प्रतिशत राशि भरण-पोषण देने का देना चाहिए।

फैमिली कोर्ट में पत्नी ने कोई आय नहीं होने का दावा किया है, लेकिन पिछले चार वर्षों से उसने आयकर रिटर्न दाखिल किया है। अदालत ने कहा कि भले ही महिला कमा रही हो, वह अपने वैवाहिक घर के अनुरूप जीवन स्तर बनाए रखने के लिए अपने पति से भरण-पोषण की हकदार है।

सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने धनबाद फैमिली कोर्ट के इस फैसले में संशोधन करते हुए आदेश दिया कि फैमिली कोर्ट का निर्णय गलत निष्कर्षों पर आधारित था और तय की गयी भरण-पोषण की राशि अनुचित थी। इसके बाद हाई कोर्ट ने प्रार्थी को 25 हजार रुपये भरण-पोषण के तौर पर देने का निर्देश दिया।

Facebook PageClick Here
WebsiteClick Here
Rate this post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
CTET and TET pass appear in Teacher Appointment exam Judges will have to give details of property ED to probe NTPC’s Rs 3,000 crore compensation scam Rahul Gandhi’s Parliament membership restored Women file false rape cases against their partners: HC Bombay High Court judge Rohit B Dev resigns in open court Decision on ASI survey in Gyanvapi case today Rahul Gandhi’s statement in Supreme Court on Modi surname issue ED will take businessman Vishnu Agarwal on remand Did Princess Diana Know King Charles, Camilla ‘Love Child’?