पूर्व मंत्री योगेंद्र साव और उनकी पत्नी पूर्व विधायक निर्मला देवी समेत चार आरोपी को अदालत ने पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है। अपर न्यायायुक्त विशाल श्रीवास्तव की अदालत ने यह फैसला सुनाया। सुनवाई के दौरान योगेंद्र साव व निर्मला देवी को जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से एवं अन्य दो आरोपी अमरेंद्र कुमार साह उर्फ छोटू उर्फ प्रदीप एवं विशेश्वर नाथ चौबे व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश हुए।
फैसले में कोर्ट ने कहा है कि मामले से जुड़े जांच पदाधिकारी गवाही देने के लिए कोर्ट में हाजिर नहीं हुए। साथ ही आरोपियों द्वारा घटना के दिन घटना स्थल पर जिस हथियार से घटना को अंजाम दिया गया था उस हथियार की जब्ती सूची तैयार की गई थी। इसके बावजूद जब्ती सूची के कागजात को अदालत में साबित नहीं किया जा सका। हालांकि मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट में नौ गवाहों का बयान दर्ज कराया गया । लेकिन कोर्ट में गवाही देते समय सभी गवाहों ने घटना को देखे जाने की बात से इनकार कर दिया। जिसका फायदा आरोपियों को मिला।
यह मामला हजारीबाग जिला अंतर्गत बड़कागांव थाना से जुड़ा हुआ है। दो मई 2016 को बड़कागांव के तत्कालीन थाना प्रभारी रामदयाल मुंडा ने योगेंद्र साव और निर्मला देवी समेत नौ आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराया था। लेकिन जांच पदाधिकारी ने अनुसंधान की कार्रवाई को पूरा करने के बाद सिर्फ चार आरोपियों के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दाखिल की। इसी चार आरोपियों के खिलाफ अदालत में सुनवाई हुई।
दर्ज प्राथमिकी में कहा गया है कि 2 मई 2016 को निर्मला देवी के नेतृत्व में स्थानीय ग्रामीण एकत्रित होकर एनटीपीसी के खनन कार्य को रोक दिया था । इस संबंध में एनटीपीसी के प्रबंधक ने हजारीबाग के एसडीओ को सूचित किया। सूचना पाकर पुलिस की टीम घटनास्थल पर पहुंची तो देखी की सभी ग्रामीण पारंपरिक हथियार डांगी और भाला से लैस होकर निर्मला देवी के नेतृत्व में एकत्रित है।
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घटनास्थल पर योगेंद्र साव और निर्मला देवी को भी देखा गया था। योगेंद्र साव की बोलेरो गाड़ी भी लगी हुई थी। घटनास्थल से पुलिस ने डांगी और भाला को बरामद किया था। साथ ही जेसीबी मशीन और योगेंद्र साव के बोलेरो गाड़ी को जब्त किया था। गवाहों द्वारा घटना का समर्थन नहीं किए जाने की वजह से कोर्ट ने योगेंद्र साव और उनकी पत्नी निर्मला देवी समेत चार को बरी कर दिया।