Ranchi: Amendment in the University Act झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस आर मुखोपाध्याय व जस्टिस राजेश कुमार की अदालत में विश्वविद्यालय के एक्ट में हुए संशोधन को तत्काल प्रभाव से लागू करने के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद अदालत ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है।
अदालत ने राज्य सरकार से पूछा है कि इस एक्ट में संशोधन के पीछे राज्य सरकार की मंशा क्या है। किस उद्देश्य के कारण डेमोंस्ट्रेटर को शिक्षक की परिभाषा से बाहर कर दिया गया। ऐसा करने के लिए सरकार ने कौन लक्ष्य तय किया है। इसकी पूरी जानकारी शपथ पत्र के माध्य से अदालत में दाखिल करनी है।
विश्वविद्यालय के एक्ट में संशोधन किए जाने की वजह से डेमोंस्ट्रेटर को साठ साल में ही सेवानिवृत्त कर दिया गया, जबकि शिक्षक 65 साल में सेवानिवृत्त होता है। इस मामले में अगली सुनवाई 13 जनवरी को होगी। इसके खिलाफ आनंद सिंह और अखिलेश्वर सिंह की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है।
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सुनवाई के दौरान प्रार्थियों के अधिवक्ता राजेश कुमार ने अदालत को बताया कि वर्ष 2012 में राज्य सरकार ने विश्वविद्यालय के एक्ट में संशोधन किया था। जिसमें डेमोंस्ट्रेटर को शिक्षक की परिभाषा से बाहर कर दिया। जिसके बाद उनकी सेवानिवृत्त साठ साल में होना निर्धारित कर दिया गया।
लेकिन कोल्हान विश्वविद्यालय ने इस संशोधन को भूतलक्ष्यी प्रभाव से लागू करते हुए प्रार्थियों को जबरन सेवानिवृत्त कर दिया। जबकि नियमानुसार नया संशोधन लागू होने के तिथि से माना जाएगा। वहीं, रांची विश्वविद्यालय में अभी भी डेमोंस्ट्रेटर को 65 साल में सेवानिवृत्त किया जा रहा है। इसके बाद अदालत ने सरकार से इसके पीछे की मंशा को शपथ पत्र के माध्यम से अदालत में दाखिल करने का निर्देश दिया है।