Ranchi: Encroachment झारखंड हाईकोर्ट ने आवास बोर्ड की जमीन पर अतिक्रमण को 16 सालों में नहीं हटाए जाने पर कड़ी नाराजगी जताई है। अदालत ने कहा कि जब यह प्लाट आवंटित कर दिया गया था तो अतिक्रमण हटाकर आवास बोर्ड को उक्त जमीन प्रार्थी को देनी चाहिए।
इसके बाद जस्टिस केपी देव की अदालत में इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों के नामों की जानकारी बोर्ड से मांगी है। अदालत ने पूछा है कि आदित्यपुर में आवास बोर्ड वर्ष 2000 से कितने लोग सचिव और कार्यपालक अभियंता के पद पर रहे हैं।
इनका नाम शपथ पत्र के माध्यम से 17 नवंबर को अदालत में पेश की जाए, ताकि अदालत ऐसे लोगों को हटाने के लिए सरकार को निर्देश दिया जा सके। आवास बोर्ड के अधिवक्ता एके सिंह ने इसके लिए अदालत से समय मांगा। इस पर अदालत ने अगली सुनवाई 17 नवंबर को निर्धारित की है।
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इसको लेकर बिंदु शेखर झा की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। याचिका में कहा गया है कि आवास बोर्ड की ओर से वर्ष 2005 आदित्यपुर में प्लाट आवंटित किया गया। लेकिन उक्त प्लाट पर पहले से अतिक्रमण था।
बोर्ड की ओर से कभी भी अतिक्रमण हटाने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई। जब यह मामला हाई कोर्ट पहुंचा तो चार दिनों अतिक्रमण हटाने का मामला शुरू किया गया। सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि प्रार्थियों को आवंटित प्लाट अतिक्रमण को हटा कर देना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
जब कोर्ट में सुनवाई हुई तो अतिक्रमण हटाने का मामला चलाया जा रहा है। इतने वर्षों तक बिना अधिकारियों की मिलीभगत के ऐसा नहीं हो सकता है। इसलिए वर्ष 2000 से सचिव और कार्यपालक अभियंता के पद काम करने वाले अधिकारियों का नाम शपथ पत्र के माध्यम से अदालत में पेश किया जाए।