New Delhi: अदालती कार्यवाही के सजीव प्रसारण (Live Streaming) के जरिए न्यायप्रणाली में पारदर्शिता की पैरवी करते हुए प्रधान न्यायाधीश (CJI) एनवी रमना ने साथी न्यायाधीशों को चेताया कि ऐसी खुली पहुंच कभी-कभी दोधारी तलवार भी बन सकती है और वे निष्पक्षता खोने और लोकप्रिय विचारधारा से प्रभावित होने का जोखिम नहीं उठा सकते।
गुजरात हाई कोर्ट की कार्यवाही के सजीव प्रसारण के उद्घाटन अवसर पर जस्टिस रमना ने कहा कि नागरिकों को जानने का अधिकार है जिसे अदालती कार्यवाही तक पहुंच की अनुमति देकर बढ़ावा दिया जा सकता है। जानकार नागरिकों की दम पर ही प्रतिनिधि लोकतंत्र अस्तित्व में रह सकता है और विकसित हो सकता है।
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उन्होंने कहा कि सही दिशा में एक कदम भी सावधानी से बढ़ाना चाहिए। कभी-कभी कार्यवाही का सजीव प्रसारण दोधारी तलवार बन सकता है। जज लोगों का दबाव महसूस कर सकते हैं जिससे दबावपूर्ण वातावरण बन सकता है जो शायद न्याय व्यवस्था के लिए अनुकूल न हो। न्यायाधीश को याद रखना चाहिए कि अगर न्याय लोकप्रिय धारणा के खिलाफ खड़े होने की मांग करे तो उसे ऐसा करना चाहिए।’
सजीव प्रसारण के नुकसान गिनाते हुए उन्होंने नागरिकों की निजता और प्रमुख गवाहों व पीड़ितों समेत वादियों की सुरक्षा के प्रति चिंता भी जाहिर की। इसके लिए सीजेआइ ने सजीव प्रसारण के नियमों को सावधानीपूर्वक परखने को जरूरी बताया। उन्होंने वकीलों को भी चेताया और पब्लिसिटी के पीछे नहीं भागने की सलाह दी।