रांचीः झारखंड गठन के बाद कैडर आवंटन होने पर आपसी सहमति से उसका ट्रांसफर कराने पर वरीयता प्रभावित होने का नियम राज्य में लागू करने का निर्देश हाईकोर्ट ने सरकार को दिया है। जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी अदालत ने इस नियम को 12 सप्ताह में राज्य में लागू करने को कहा है।
अदालत इस मामले में नोडल एजेंसी की ओर से बनाए गए नियम को सही माना है। कहा कि उक्त नियम बिहार राज्य में पहले से ही लागू है। इसलिए राज्य में भी यह नियम लागू होना चाहिए। इस संबंध में संजय कुमार व अन्य की याचिका पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है।
संयुक्त बिहार में नियुक्त कर्मियों को झारखंड बनने के बाद कैडर आवंटन किया गया तो इस दौरान झारखंड व बिहार कैडर के लोगों ने आपसी सहमति से कैडर ट्रांसफर के लिए दोनों सरकार को आवेदन दिया था। केंद्र सरकार ने दोनों राज्यों को मिलकर कैडर ट्रांसफर के लिए नियम व शर्त बनाने को कहा।
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दोनों राज्यों ने वर्ष 2009 में इसके लिए एक नियम बनाया जिसमें तहत कैडर ट्रांसफर वाले व्यक्ति को अपनी नियुक्ति वर्ष में सबसे कनीयतम माना जाएगा। इसको झारखंड हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। सुनवाई के बाद एकलपीठ ने कहा कि कैडर ट्रांसफर पर वरीयता प्रभावित नहीं होगी।
इसको बिहार सरकार ने खंडपीठ में चुनौती दी। खंडपीठ ने इसको लेकर बनाए गए नियम व शर्तों को सही ठहराया और कहा कि ऐसा करने पर वरीयता प्रभावित होगी। इसके बाद झारखंड सरकार ने इस नियम को वापस ले लिया, जबकि बिहार सरकार ने खंडपीठ के आदेश के आधार पर इसे लागू कर दिया।
सुनवाई के दौरान अधिवक्ता विकास कुमार ने अदालत को बताया कि इसको लेकर वर्ष 2016 में अधिसूचना जारी की गई। लेकिन झारखंड में इसे लागू नहीं किया गया है। जबकि उक्त नियम दोनों राज्यों में लागू करने की बाध्यता है। इसके बाद अदालत ने इस नियम को राज्य में लागू करने का निर्देश दिया है।