New Delhi: Vacancies in Consumer Forum राज्यों में कार्य करने वाले उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग को उपलब्ध सुविधाएं और उनके लिए स्वीकृत व रिक्त पदों का विवरण प्रस्तुत करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने हफ्ते भर का समय दिया है। चेतावनी दी है कि इस अवधि में सूचनाएं प्रस्तुत न करने वाले राज्यों पर हर्जाना लगाया जाएगा। जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एमएम सुंद्रेश की पीठ ने कहा है कि यह हर्जाना दो लाख रुपये का होगा, जिसे अधिकारियों से वसूला जाएगा।
पीठ ने यह चेतावनी कई बार की सुनवाई में राज्यों द्वारा अपेक्षित सूचनाएं प्रस्तुत न करने पर दी है। पीठ ने नाराजगी जताते हुए कहा कि राज्यों के वकीलों द्वारा कोर्ट को आश्वस्त करने के बावजूद सूचनाएं अप्राप्त हैं जिससे सुनवाई लंबित हो रही है। सुप्रीम कोर्ट जिला और राज्य स्तर पर कार्य करने वाले उपभोक्ता संरक्षण फोरम और उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के प्रभावी न होने पर स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई कर रहा है।
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कोर्ट के संज्ञान में आया है कि कई राज्यों में कार्य करने वाली संस्थाओं के पास पर्याप्त कर्मचारी और अन्य सुविधाएं नहीं है। इसके कारण सरकार द्वारा नियुक्त पदाधिकारी संस्थाओं में सक्रिय रूप से कार्य नहीं कर पा रहे हैं। इसका असर उपभोक्ताओं के हितों पर पड़ रहा है। मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन को न्याय मित्र नियुक्त किया गया है।
पीठ ने कहा, मामले में सुनवाई के लिए निर्धारित समय का सम्मान नहीं हो रहा है। इससे कोर्ट का अनुशासन बिगड़ रहा है। पीठ ने अपने 22 अक्टूबर के आदेश का पालन न होने पर भी नाराजगी जताई। सुनवाई में न्याय मित्र ने बताया कि बिहार सरकार ने मामले में जो रिपोर्ट दी है उसमें आयोग की इमारत और कर्मियों का कोई जिक्र नहीं है।
इस पर पीठ ने कहा, क्या जिम्मेदार अधिकारियों के लिए वारंट जारी किए जाएं ? क्या वहां पर मुख्य सचिव कार्य नहीं कर रहे ? लगता है कि कड़ा रुख दिखाने पर ही राज्य कार्य करेगा। इससे पहले पीठ ने कहा था कि सरकार अगर संस्थाओं को सुविधाएं नहीं देना चाहती तो वह उपभोक्ता संरक्षण कानून को रद कर दे।