सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरजी कर अस्पताल(कोलकाता) मामले की जांच कर रही सीबीआई की रिपोर्ट में कुछ ऐसे तथ्यों के खुलासे हुए हैं जो ‘परेशान करने वाले’ हैं। शीर्ष अदालत ने सीबीआई की ओर से सीलबंद लिफाफे में पेश मामले की जांच रिपोर्ट को देखने के बाद यह टिप्पणी की। मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ ने सीबीआई की ओर से पेश स्थिति रिपोर्ट के तथ्यों का खुलासा करने से इनकार कर दिया।
कोर्ट ने कहा, इससे जांच प्रभावित हो सकती है। यह टिप्पणी करते हुए पीठ ने जांच की समय-सीमा तय करने से इनकार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा, ‘सीबीआई नींद में सो नहीं रही’ है बल्कि मामले की जांच कर रही है। सचाई का पता लगाने के लिए सीबीआई को पर्याप्त समय देना चाहिए। उन्होंने कहा कि मामले में आरोपपत्र दाखिल करने के लिए 90 दिनों की अवधि है और अभी समय बचा है। इसलिए जांच की समय सीमा तय करना उचित नहीं हो सकता। उन्होंने सीबीआई के डीआईजी सत्यवीर सिंह द्वारा पेश स्थिति रिपोर्ट पर विचार करने के बाद यह टिप्पणी की।
पीड़िता के पिता की चिंताओं पर भी करें विचारः
सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को पीड़ित डॉक्टर के पिता द्वारा उठाई गई कुछ चिंताओं पर विचार करने को कहा। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को भरोसा दिया कि उन पर विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सीबीआई पहले से ही इसमें उठाई गई कई चिंताओं पर विचार कर रही है। इस बीच जूनियर डॉक्टरों के संघ की ओर वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने कोर्ट में कहा कि उनके पास अपराध स्थल पर अन्य लोगों की मौजूदगी का संकेत देनेवाली जानकारी है।
मुख्यमंत्री का इस्तीफा मांगने पर फटकारः
शीर्ष अदालत ने पश्चिम बंगा की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का इस्तीफा मांगने के लिए दाखिल याचिका पर कड़ी नाराजगी जाहिर की। कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि यह कोई राजनीतिक मंच नहीं है।