झारखंड हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस एसएन प्रसाद व जस्टिस एके राय की खंडपीठ में चान्हो के सिलागाईं में बनने वाले एकलव्य विद्यालय के चयनित स्थल को बदलने के खिलाफ जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत
ने केंद्र व राज्य सरकार से पूछा कि क्या सिलागाईं के बदले बरहे में एकलव्य आवासीय विद्यालय बनाए जाने का कोई लिखित दस्तावेज है। अगर नहीं है, तो क्या दोनों प्रोजेक्ट अलग-अलग हैं। अदालत ने राज्य सरकार से पूछा कि जब चान्हो के बरहे गांव में एकलव्य आवासीय विद्यालय बन सकता है, तो सिलागाईं में क्यों नहीं बन सकता। अगर सिलागाईं में आवासीय विद्यालय बनने में उपद्रवियों को लेकर कोई अड़चन थी, तो उसका निराकरण समय पर सरकार ने क्यों नहीं किया। राज्य की कानून व्यवस्था सरकार के हाथों में होती है इसका मतलब है कि राज्य में कानून का राज नहीं है।
सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से अदालत को बताया गया की सूचना के अधिकार के तहत प्रार्थी ने केंद्र एवं राज्य सरकार से कुछ जानकारी मांगी है। इसमें पूछा गया है कि जब सिलागाईं के लिए प्रोजेक्ट केंद्र सरकार ने स्वीकृत किया था तो वहां एकलव्य आवासीय विद्यालय क्यों नहीं बन रहा है। किसके आदेश से स्कूल का स्थान बदल गया। राज्य सरकार सिलागाईं में एकलव्य विद्यालय बनाना चाहती है या नहीं। अदालत ने कहा कि अगर केंद्र एवं राज्य सरकार आरटीआइ में प्रार्थी द्वारा मांगे गए सवालों का स्पष्ट जवाब नहीं देती है यह सरकार की कमी मानी जाएगी। प्रार्थी की ओर से खंडपीठ को बताया गया था कि नौ दिसंबर 2022 को हाई कोर्ट ने अंतरिम आदेश देते हुए शिलान्यास वाले स्थल पर एकलव्य विद्यालय बनाने का आदेश दिया था।
बता दें कि प्रार्थी गोपाल भगत ने एकलव्य विद्यालय के पूर्व चयनित स्थल को बदलने का विरोध करते हुए जनहित याचिका दाखिल किया है। चान्हो के सिलागाईं में एकलव्य विद्यालय बनाने के लिए राज्य सरकार ने 52 एकड़ जमीन दी थी। उक्त जमीन की बाउंड्री वाल भी बन गया था जिसे तोड़ दिया गया था।