टेरर फंडिंग के आरोपियों अमित, विनीत व महेश अग्रवाल की याचिका पर बहस पूरी होने के बाद झारखंड हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। करीब तीन घंटे तक चली बहस के बाद चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है। इस दौरान एनआईए की ओर से अदालत को बताया गया कि इस मामले में निचली कोर्ट द्वारा लिया गया संज्ञान सही है।
कहा कि तीनों आरोपियों सहित अन्य के खिलाफ एनआईए ने पर्याप्त एवं ठोस सबूत जुटाएं हैं। इसी के तहत इनके खिलाफ निचली अदालत में चार्जशीट दाखिल किया गया है। चार्जशीट में लगाए गए सभी आरोप सही हैं और अदालत द्वारा लिया गया संज्ञान भी। ऐसे में इनका यह कहना कि वे इस मालमे में पीड़ित हैं, बिल्कुल गलत है। क्योंकि इनके खिलाफ लोगों के बयान और दस्तावेजीय साक्ष्य एनआईए के पास है।
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एनआईए ने कहा कि ये लोग उस क्षेत्र में काम करने और वर्चस्व के लिए नक्सलियों का सहारा लेते थे। इसके बदले में वे नक्सलियों को फंडिंग करते थे जिसका इस्तेमाल नक्सली आधुनिक हथियार खरीदने में करते थे। वहीं, आरोपियों की ओर से अदालत से कहा गया कि उस क्षेत्र में काम करने के बदले में उनसे रंगदारी मांगी जाती थी। जानमाल की सुरक्षा के लिए उन्हें लेवी देनी पड़ती थी।
ऐसे में वे इस मामले में पीड़ित हैं, जबकि एनआईए ने उन्हें ही आरोपी बना दिया है। ऐसे में उनके निचली अदालत द्वारा लिया गया संज्ञान सहित पूरे मामले को निरस्त किया जाए। बता दें कि टंडवा के आम्रपाली प्रोजेक्ट में शांति समिति के जरिए पैसे वसूले जाते थे। इसका कुछ भाग नक्सलियों को भी दिया जाता था। पहले इसकी जांच पुलिस कर ही थी, लेकिन बाद में एनआईए ने इसे टेकओवर कर लिया।