Ranchi: Teacher appointment झारखंड हाईकोर्ट ने गैर अनुसूचित जिलों में संस्कृत शिक्षकों की नियुक्ति के मामले में कार्मिक सचिव को प्रतिवादी बनाने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा कि सचिव को प्रतिवादी बनाए जाने के बाद चार सप्ताह में इस मामले में सचिव को निर्णय लेना है।
जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत में इस मामले में अवमानना याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद अदालत ने कार्मिक सचिव को प्रतिवादी बनाने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा कि अगर 21 जनवरी तक इस मामले में आदेश का अनुपालन नहीं किया गया, तो कार्मिक सचिव को कोर्ट में हाजिर होना होगा।
हाईकोर्ट ने गैर अनुसूचित जिलों में नवंबर 2020 में संस्कृत शिक्षकों को नियुक्त करने का आदेश जारी किया था। इस संबंध में कविता शर्मा सहित अन्य की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। सुनवाई के दौरान प्रार्थियों के अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने अदालत को बताया कि गैर अनुसूचित जिलों में संस्कृत विषय के शिक्षकों की नियुक्ति की अनुशंसा सितंबर 2018 में जेएसएससी ने कर दिया था।
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लेकिन अभी तक इनकी नियुक्ति नहीं हुई है।पूर्व में सरकार ने कहा कि था कि यह मामला सोनी कुमारी के मामले से प्रभावित है और सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित है। लेकिन इस मामले में जब कुछ लोगों ने याचिका दाखिल की तो सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गैर अनुसूचित जिलों में होने वाली नियुक्ति से संबंधित कोई भी मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित नहीं है और न ही इन जिलों में नियुक्ति पर किसी प्रकार की रोक है।
इसके अलावा गैर अनुसूचित जिलों में से देवघर और गोड्डा जिले में संस्कृत शिक्षक की नियुक्ति कर दी गई है जबकि अन्य जिलों में अब तक नहीं हुई है। इस पर सरकार की ओर से कहा गया कि इस मामले में अंतिम फैसला कार्मिक सचिव के स्तर से होना है। जबकि वे इस मामले में प्रतिवादी नहीं है। इस पर अदालत ने कार्मिक सचिव को प्रतिवादी बनाने का निर्देश दिया है।