सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के जज जस्टिस नजीर ने कहा कि न्यायपालिका की व्यवस्था का भारतीकरण होना जरुरी है। इसमें कई बदलाव होंगे जो कागजी कार्रवाई को सरल बनाएंगे, प्रक्रियाओं को स्थानीय भाषाओं में सुलभ बनाया जाएगा और प्रक्रिया अब की तुलना में कम खर्चीली होगी।
हैदराबाद में आयोजित अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद की छठी राष्ट्रीय परिषद की बैठक में जस्टिस नजीर ने कहा शीर्ष अदालतों में जाने के लिए कानूनी शुल्क निषेधात्मक हैं, निर्णय अक्सर अंग्रेजी में दिए जाते हैं, जो सामान्य लोगों के समझने के लिए मुश्किल हो जाता है।
इसे भी पढ़ेंः धर्म संसद में नरसंहार के आह्वान का आरोप, CJI को वकीलों ने लिखा पत्र; संज्ञान लेने की मांग
इसलिए अक्सर मुकदमेबाजी सामान्य वर्ग के लिए एक डरा देने वाली परीक्षा बन जाती है। न्याय को अधिकार के मामले के रूप में ध्यान देने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए न कि विवेक के मामले में। अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद ने इस वर्ष की राष्ट्रीय परिषद की बैठक का विषय भारतीय कानूनी प्रणाली का विघटन रखा है।
बैठक में अपनी रखते हुए जस्टिस नजीर ने भारत के गौरवशाली कानूनी इतिहास को कानून के पाठ्यक्रम में एकीकृत करने की आवश्यकता के बारे में भी बताया। उन्होंने भारत में प्राचीन काल की अनुकरणीय प्रथाओं की बात की, जैसे कि नागरिकों को न्याय मांगने का अधिकार और यह तथ्य कि राजा से भी कानून के सामने झुकने की उम्मीद की जाती थी।