State Level Conference: झारखंड न्यायिक अकादमी रांची में रविवार 16 जून को “पर्यावरण, खान एवं खनिज कानून” पर राज्य स्तरीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस एवं राष्ट्रीय हरित अधिकरण के पूर्व अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल ने कहा कि भारत में अनादि काल से पर्यावरण की पूजा की जाती रही है और पर्यावरण के लिए भारत का योगदान दुनिया में सर्वश्रेष्ठ में से एक रहा है, लेकिन दुख की बात है कि भारत पर्यावरणीय क्षरण का शिकार रहा है। पर्यावरण संरक्षण में चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए न्यायमूर्ति गोयल ने कहा कि हम खनिजों का अंधाधुंध दोहन कर रहे हैं और अवैध खनिज दोहन का कारोबार करीब 126 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है। न्यायमूर्ति गोयल ने यह भी कहा कि यह बात तो सर्वविदित है कि हम हर चीज को प्रदूषित कर रहे हैं और फिर प्रदूषित वस्तुओं का सेवन न करने की सलाह दे रहे हैं। राज्य स्तरीय सम्मेलन का उद्घाटन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल के साथ झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद, जस्टिस रोंगोन मुखोपाध्याय, जस्टिस डॉ. एसएन पाठक, पर्यावरणविद् सुनीता नारायण ने संयुक्त रूप से किया।
देश में करीब 351 नदियां हो चुकी है प्रदूषित – जस्टिस गोयल
भारत में करीब 351 नदियां प्रदूषित हैं; विकास परियोजनाओं को शुरू करने से पहले पर्यावरण प्रभाव आकलन शुरू करने की कोई संस्कृति नहीं है, बेंगलुरु जैसे शहर अब झीलों का शहर नहीं रह गए हैं और जैव विविधता प्रबंधन समिति का रखरखाव भी ठीक से नहीं हो रहा है। अपने संबोधन का समापन करते हुए न्यायमूर्ति गोयल ने कहा कि स्वच्छ पर्यावरण का अधिकार अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार का हिस्सा है और साथ ही अनुच्छेद 48 ए और 51 ए राज्य और नागरिकों पर स्वच्छ और टिकाऊ पर्यावरण बनाए रखने का दायित्व डालता है। न्यायमूर्ति गोयल ने झारखंड राज्य की भूमिका की भी सराहना की और न्यायिक अकादमी को सम्मेलन आयोजित करने के साथ-साथ पर्यावरण के मुद्दों पर महत्वपूर्ण शोध सामग्री प्रस्तुत करने के लिए बधाई दी।
हमारे खराब व्यवहार के कारण पर्यावरण का संतुलन बुरी तरह है प्रभावित – सुनीता नारायण
जबकि सुश्री सुनीता नारायण ने कहा कि इस दुनिया में हर चीज का मूल आधार संतुलन है, लेकिन दुख की बात है कि पर्यावरण के साथ हमारे खराब व्यवहार के कारण यह संतुलन बुरी तरह प्रभावित हुआ है और इसका परिणाम भारत में 40 डिग्री से अधिक तापमान, लंबे समय तक सूखा और गुणवत्तापूर्ण वर्षा जल की कमी के रूप में दिखाई देता है। सुश्री नारायण ने कहा कि झारखंड में जीवन जंगलों से जुड़ा हुआ है और लोग अपने अस्तित्व के लिए जंगलों पर निर्भर हैं।
सुश्री नारायण ने यह भी बताया कि स्वच्छ पेयजल और जलवायु परिवर्तन के बीच सीधा संबंध है और चुनौतियों का सामना करने के लिए हमें वर्षा जल को संग्रहीत करने की आदत डालने, नए पर्यावरण संस्थान की स्थापना, वन मंजूरी के लिए सख्त मानदंड अपनाने, पर्यावरण स्थिरता बनाए रखने के लिए कर्तव्य रखने वाले संस्थानों की जवाबदेही तय करने की जरूरत है और इन सभी में न्यायपालिका की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है।
सुश्री नारायण ने अपशिष्ट प्रबंधन की प्रथा, अक्षय ऊर्जा को अपनाने जैसी कुछ अच्छी प्रथाओं पर प्रकाश डाला। अपनी टिप्पणी का समापन करते हुए सुश्री नारायण ने कहा कि हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि सांस्कृतिक विविधता और जैव विविधता के बीच गहरा संबंध है।
कार्यपालिका का कार्यान्वयन विधायिका की मंशा से है अलग – वरीय अधिवक्ता संजय उपाध्याय
वरीय अधिवक्ता संजय उपाध्याय ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कार्यपालिका का कार्यान्वयन विधायिका की मंशा से अलग है और इसी तरह कभी-कभी कानूनों की व्याख्या विधायिका की मंशा से अलग होती है। श्री उपाध्याय ने पर्यावरण की पारंपरिक समझ के महत्व पर भी प्रकाश डाला और उच्च न्यायालयों के निर्णयों को रेखांकित किया जिसमें नदियों को जीवित इकाई के रूप में नामित किया गया है, लेकिन सवाल यह है कि इसे कैसे कार्यान्वित किया जाए? श्री उपाध्याय ने यह भी बताया कि आज यदि राष्ट्रीय राजमार्ग 100 किमी से कम है तो हमें पर्यावरण प्रभाव आकलन की आवश्यकता नहीं है और यह कुछ नहीं है, लेकिन कानून में फेरबदल और ऐसी सभी चीजें गड़बड़ी पैदा कर रही हैं। श्री उपाध्याय ने एक प्रश्न के साथ सत्र का समापन किया कि हमें अलग पारिस्थितिकी तंत्र के लिए अलग कानून क्यों नहीं बनाना चाहिए।
खान और खनिज विकास विनियमन एक्ट के प्रावधानों के साथ-साथ तैयार नियमों पर रखा विचार- अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा
झारखंड उच्च न्यायालय के अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा ने खान और खनिज विकास विनियमन अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के साथ-साथ इसके तहत तैयार किए गए नियमों पर विचार-विमर्श किया। श्री सिन्हा ने विभिन्न पर्यावरण कानूनों के कार्यान्वयन और ट्रायल कोर्ट के साथ-साथ खान और वन विभाग जैसे सरकारी निकायों द्वारा उनके निष्पादन के संबंध में प्रतिभागियों के प्रश्नों को भी संबोधित किया।
सम्मेलन में हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश, जिलों के न्यायिक अधिकारी, पुलिस विभाग, वन विभाग, खान एवं भूविज्ञान विभाग के अधिकारीगण, लोक अभियोजक, सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता संजय उपाध्याय तथा अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा समेत काफी संख्या में गणमान्य लोग उपस्थित थे। जस्टिस अनुभा रावत चौधरी ने आभार व्यक्त किया।