जमशेदपुर में नक्शा विचलन मामले में राज्य के मुख्य सचिव हाई कोर्ट में तलब, वकीलों ने सौंपी जांच रिपोर्ट

Jharkhand High Court News: झारखंड हाई कोर्ट ने जमशेदपुर में नक्शा विचलन, अतिक्रमण कर बने भवनों, पार्किंग स्थलों का व्यावसायिक इस्तेमाल की जांच के लिए बनी वकीलों की कमेटी की रिपोर्ट देखने के बाद नाराजगी जतायी है।

हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा और जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने कहा है कि रिपोर्ट से स्पष्ट हो रहा है कि जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति की ओर से जारी बिल्डिंग बायलॉज और नगरपालिका कानून के प्रावधानों का उल्लंघन हो रहा है।

रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि स्थानीय प्रशासन ने हाईकोर्ट की ओर से गठित वकीलों की कमेटी को सहयोग नहीं किया, ताकि जांच न हो। यह अदालत के आदेश की अवमानना है। अदालत ने इस मामले की सुनवाई पांच दिसंबर को निर्धारित करते हुए राज्य के मुख्य सचिव को हाजिर होने का निर्देश दिया है।

जमशेदपुर में भवन निर्माण में नियमों का उल्लंघन

इस संबंध में राकेश कुमार झा ने जनहित याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि जमशेदपुर में जी प्लस तीन से अधिक ऊंचा भवन नहीं बनाया जा सकता है। लेकिन टाटा, जमशेदपुर नोटिफाइड एरिया कमेटी और जिला प्रशासन की मिलीभगत से 1246 भवनों के निर्माण में नियमों का खुलेआम उल्लंघन किया गया है।

वर्ष 2011 में हाई कोर्ट ने सरकारी जमीन पर अतिक्रमण और नक्शा विचलन कर निर्माण पर स्वत: संज्ञान लिया था। अदालत ने पूरे राज्य में इस तरह के मामलों में कार्रवाई का निर्देश दिया था। लेकिन जमशेदपुर में कोर्ट के आदेश का पालन ही नहीं किया गया।

सुनवाई के दौरान जमशेदपुर के उपायुक्त ने शपथ पत्र में कहा था कि इस तरह के मामलों में कार्रवाई की जाएगी। अधिवक्ता ने कहा कि जमशेदपुर में अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है, बल्कि म्यूनिसिपल एक्ट 2011 के प्रविधानों का उल्लंघन करते हुए जी प्लस 9 तक का भवन बना लिया गया है।

वकीलों की कमेटी ने कहा- सभी मामलों में नियमों का उल्लंघन

वकीलों की कमेटी ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट में कहा कमेटी जहां भी गयी वहां स्वीकृत भवन योजनाओं और नगरपालिका कानून के प्रावधानों का उल्लंघन मिला। जिस योजनाबद्ध तरीके से नियमों का उल्लंघन किया गया है।

उससे स्पष्ट कि यह सिर्फ भवन निर्माताओं की कारगुजारी नहीं, बल्कि यह सब कुछ जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति( अक्षेस) और जिला प्रशासन के वरीय अधिकारियों की मिलीभगत से किया गया है। सारे भवनों के पार्किंग स्थलों में कॉमर्शियल दुकानें बनाकर बेच दी गयी हैं।

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