RIMS News: झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत ने आदेश देने के बाद भी रिम्स में रिक्त पदों पर नियुक्ति नहीं किए जाने पर कड़ी नाराजगी जताई है। अदालत ने कहा कि रिम्स प्रशासन पर कोर्ट के आदेश का कोई असर नहीं हो रहा है। प्रतीत हो रहा है कि उनके लिए कोर्ट के आदेश का कोई महत्व नहीं है। अदालत ने रिम्स की ओर से दूसरे अधिवक्ता द्वारा पक्ष रखे जाने पर मौखिक रूप से कहा कि जब अधिवक्ता बदला गया है तो क्यों नहीं रिम्स के रिम्स निदेशक को ही बदल दिया जाए।
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निदेशक को अपने काम और व्यवहार में बदलाव लाने की जरूरत है। कोर्ट ने कहा कि दो साल पहले रिम्स में सभी रिक्त पदों पर नियुक्ति करने का आदेश दिया गया था। कोर्ट का आदेश नहीं मानकर रिम्स अवमानना के दायरे में है। सुनवाई के दौरान रिम्स की ओर से कहा गया कि रोस्टर क्लीयरेंस करने की वजह से रिक्त पदों पर नियुक्ति नहीं की जा रही है। इस पर सरकार की ओर से कहा गया कि वर्ष 2015 में सरकार ने एक आदेश जारी किया था।
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जिसमें आरक्षण में रोस्टर क्लीयरेंस की जरूरत नहीं होने की बात कही गई थी। इस पर अदालत ने रिम्स से कहा कि जब सरकार ने ऐसा आदेश जारी किया है तो फिर रोस्टर क्लीयरेंस का मामला सरकार को भेजने का क्या औचित्य है। अदालत ने इस बात को लेकर भी नाराजगी जताई कि जब रिम्स में रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया गया तो कोर्ट के आदेश का जिक्र क्यों नहीं किया गया है। इस पर रिम्स की ओर से जवाब दाखिल करने की मांग की गई, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया।
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