रांचीः अपर न्यायायुक्त मनीष रंजन की कोर्ट ने शादी का झांसा देकर महिला का 16 साल तक यौनशोषण करने के आरोपी सेवानिवृत्त डीडीसी अरविंद कुमार चौधरी को राहत देने से इन्कार कर दिया है। कोर्ट ने उनकी ओर से दाखिल अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने उनके बेटे मनीष आनंद की भी अग्रिम जमानत याचिका खारिज की है।
इसके बाद से दोनों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। महिला की ओर से सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता शिशिर राज ने कोर्ट में पक्ष रखा। उन्होंने बताया कि महिला नामकुम की रहने वाली है। विधवा महिला अरविंद कुमार चौधरी की मुलाकात 2008 नौकरी को लेकर हुई। नौकरी देने का वादा करते हुए पाकुड़ में तैनात अधिकारी अरविंद कुमार ने महिला को मिलने के लिए बुलाया।
फिर एक होटल में ले जाकर उसका यौनशोषण किया। जब महिला ने इसका विरोध किया तो उन्होंने उससे शादी करने का वादा किया। इस दौरान अरविंद कुमार अपने आपको कुंवारा बताया और महिला के संपर्क में रहा। लोहरदगा ट्रांसफर होने के बाद अरविंद कुमार ने फिर से महिला को बुलाया और उसे साथ शारीरिक संबंध स्थापित किया। वर्ष 2012 में अरविंद कुमार डीडीसी पद से सेवानिवृत्त हो गया।
उसने महिला को नामुकम में ही एक फ्लैट लेकर रहने को दिया। इस दौरान वह महिला के साथ ही रहता था। इसके बाद महिला अपने पिता के घर लौट आई। उसके दो बच्चे भी हैं। सेवानिवृत्ति के बाद अरविंद कुमार चौधरी महिला से दूरी बनाने लगा। महिला ने उससे फोन पर बातचीत की। उसने पटना में रहने की बात बताई तो महिला वहां पहुंच गई।
अरविंद कुमार चौधरी ने उसे बिहार के पटना हाई कोर्ट के पास मिलने बुलाया था। तभी उसका बेटा वहां पहुंचा और महिला के साथ मारपीट करते हुए गाली-गलौच की। किसी तरह से महिला रांची पहुंची और उसे एससी-एसटी थाना में शिकायत की।
लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होने पर उसने सिविल कोर्ट में शिकायतवाद दर्ज कराई। कोर्ट के आदेश के बाद अरविंद कुमार चौधरी और मनीष आनंद के खिलाफ एससी-एसटी थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई। उसे बाद उन लोगों की ओर से कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दाखिल कर राहत की गुहार लगाई गई थी।