Ranchi: Remdesivir Black Marketing, Jharkhand High Court झारखंड हाईकोर्ट ने रेमडेसिविर कालाबाजारी मामले में रांची के ग्रामीण एसपी नौशाद आलम को सरकारी गवाह बनाए जाने पर कड़ी नाराजगी जताई है। अदालत ने कहा कि जब हाईकोर्ट इस मामले की स्वयं निगरानी कर रही है तो एसपी को सरकारी गवाह बनाने से पहले कोर्ट को इसकी जानकारी अवश्य देनी चाहिए थी।
चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत ने रेमडेसिविर कालाबाजारी मामले में सुवनाई कर रही है। अदालत ने इस मामले में एसआईटी हेड अनिल पालटा, सीआईडी एडीजी और जांच अधिकारी को अगली सुनवाई के दौरान अदालत में उपस्थित होने का आदेश दिया है। मामले में अगली सुनवाई आठ जुलाई को होगी।
अदालत ने यह भी कहा कि जब एसआईटी को निर्देश दिया गया है कि समय-समय पर वो अदालत में अपनी जांच रिपोर्ट दाखिल करेगी। लेकिन एसआईटी ने बिना कोर्ट को जानकारी दिए ही निचली अदालत में चार्जशीट दाखिल कर दिया है। जबकि उन्हें पहले अदालत में सीलबंद लिफाफे में जांच रिपोर्ट दाखिल करनी चाहिए थी।
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अदालत ने कहा कि इस मामले में दो आरोपियों के खिलाफ जांच पूरी होने की बात कहते हुए अदालत में चार्जशीट दाखिल किया गया है। इससे कई गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। सुनवाई के दौरान अधिवक्ता राजेंद्र कृष्ण ने कहा कि एसआईटी के गठन से पहले ही जांच अधिकारी ने निचली अदालत में चार्जशीट दाखिल कर दिया है।
राजेंद्र कृष्ण ने कहा कि इस मामले में दो छोटे लोगों को जेल भेज दिया गया है जबकि इस मामले में रांची ग्रामीण एसपी का नाम समाने आया था और उन्हें सरकारी गवाह बना दिया गया है। महाधिवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि एसआईटी ने ही जांच के बाद दो खिलाफ पूरक चार्जशीट दाखिल किया है। इस मामले में यह अंतिम चार्जशीट नहीं है।
इसके बाद अदालत ने मामले की केस डायरी, निचली अदालत में दाखिल चार्जशीट और एसआईटी जांच के मूल दस्तावेज कोर्ट में दाखिल करने का निर्देश दिया है। बता दें कि इस मामले की जांच के दौरान सीआईडी एडीजी अनिल पालटा का ट्रांसफर होने के बाद उनके नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया है।