Latehar Civil Court: लातेहार के एसीजेएम शशि भूषण शर्मा की अदालत ने गुरुवार को 14 साल पुराने जेट्रोफा की खेती घोटाला मामले की सुनवाई करते हुए मनिका प्रखंड की तत्कालीन बीडीओ सह वर्तमान में रांची के कार्यपालक दंडाधिकारी साधना जयपुरियार समेत तीन अभियुक्तों को तीन-तीन साल कैद की सजा सुनाई है। साथ ही तीनों पर 50-50 हजार रुपए का जुर्माना किया गया है। जुर्माने की राशि जमा नहीं करने पर तीनों को अतिरिक्त छह महीने जेल काटनी होगी। लातेहार जिले के मनिका प्रखंड में 2009-10 में जेट्रोफा प्लांटेशन के नाम पर बड़ा घोटाला हुआ था। जब इसकी जानकारी वहां के डीडीसी सीपी बाखला को मिली तो उन्होंने तत्काली 10 नवंबर 2010 को मनिका थाना में साधना जयपुरियार, ग्राम विकास सेवा समिति एनजीओ के अध्यक्ष रामप्रवेश यादव एवं सचिव सत्येंद्र यादव के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी। अदालत ने इन्हीं तीनों को सजा सुनाई है।
मालूम हो वर्तमान में साधना जयपुरियार रांची जिले में कार्यपालक दंडाधिकारी के पद पर पदस्थापित हैं। गुरुवार को अदालत में फैसला सुनने के बाद साधना जयपुरियार एवं अन्य आरोपियों की आंखें भर आई उन्होंने अपने को निर्दोष बताते हुए अपीलीय कोर्ट में चुनौती देने की बात कही। इसके लिए अदालत ने तीनों को एक महीने की औपबंधिक जमानत की सुविधा प्रदान की है।
क्या है मामला
वर्ष 2010 में जेट्रोफा प्लांटेशन के नाम पर मनिका प्रखंड के दुंदु एवं माइल ग्राम में करीब 500 एकड़ जमीन पर खेती करने का जवाबदेही चंदवा प्रखंड की स्वयंसेवी संस्था ग्राम विकास सेवा समिति को दिया था। समिति के द्वारा आवंटित क्षेत्रफल में खेती न कर सिर्फ खानापूर्ति की गई थी। जिसकी सुनवाई के उपरांत मामला सत्य पाया गया और इस मामले में तत्कालीन दो प्रखंड विकास पदाधिकरियों साधना जयपुरियार ,अनिल कुमार समेत दो एनजीओ ग्राम विकास सेवा समिति चंदवा और झारखंड विकास मोर्चा धनबाद के खिलाफ दो अलग-अलग मनिका थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी।
क्या है जेट्रोफा
जेट्रोफा का इस्तेमाल ईंधन के विकल्प के रूप में किया जाता है। इसके बीज से तेल निकाला जाता है। इस तेल को परिष्कृत कर बायोडीजल तैयार किया जाता है। इसका उपयोग विभिन्न मशीनों को चलाने में किया जाता है। छत्तीसगढ़ में इससे रेल इंजन भी चलाया जा रहा है। इसी से प्रेरित होकर जिला प्रशासन द्वारा यहां भी जेट्रोफा की खेती करने का निर्णय लिया गया था और मनिका प्रखंड समेत कई प्रखंडों में इस खेती की शुरुआत की गई थी हालांकि जिले में कहीं भी जेट्रोफा की खेती सफल नहीं हुआ।