Ranchi: झारखंड हाईकोर्ट से परीक्षा आयोजित करनेवाली एजेंसी को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने उसे राहत देने से इनकार किया है। उसकी ओर से दाखिल याचिका को अदालत ने खारिज कर दी है। इससे उसकी परेशानी बढ़ गई है। झारखंड स्टाफ सेलेक्शन कमीशन (जेएसएससी) की ओर से कंबाइंड ग्रेजुएट लेवल एग्जाम (सीजीएल) की 28 जनवरी को आयोजित परीक्षा के पेपर लीक मामले में जेएसएससी की ओर से परीक्षा आयोजन करने वाली एजेंसी को ब्लैकलिस्टेड किए जाने से संबंधित मामले में एकल पीठ के आदेश को चुनौती देने वाली सतवत इंफोसोल प्राइवेट लिमिटेड की सिविल रिव्यू पर झारखंड हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया है। सतवत इंफोसोल प्राइवेट लिमिटेड को राहत नहीं देते हुए उसकी याचिका खारिज कर दी।
मालूम हो कि जेएसएससी के द्वारा सतवत इंफोसोल प्राइवेट लिमिटेड को ब्लैकलिस्टेड करने के लिए जारी शॉ काज को हाई कोर्ट में पूर्व में चुनौती दी थी। हाई कोर्ट की खंडपीठ के फैसले को गलत बताते हुए सतवत इंफोसोल प्राइवेट लिमिटेड ने हाई कोर्ट में सिविल रिव्यू सिविल दाखिल की थी। इस पर हाईकोर्ट ने फैसला सुनते हुए उसकी याचिका खारिज कर दी।
पूर्व में मामले की सुनवाई में क्या हुआ था
यहां बता दें कि जेएसएससी ने पूर्व की सुनवाईयों में खंडपीठ को बताया गया था की प्रथम दृष्टता प्रश्न पत्र लीक मामले में कंपनी की संलिप्तता प्रतीत होती है। इसी कारण जेएसएससी ने इन्हें ब्लैकलिस्टेड किए जाने के संबंध में शॉ काज दायर कर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। जबकि सतवत इंफोसोल प्राइवेट लिमिटेड की ओर से जेएसएससी के शॉ काज पर रोक लगाने का आग्रह कोर्ट से किया गया था। जिस पर हाई कोर्ट की खंडपीठ ने सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुनाया था। सतवत इंफोसोल प्राइवेट लिमिटेड ने हाई कोर्ट के खंडपीठ के इस आदेश को गलत बताते हुए सिविल रिव्यू दाखिल की थी।
यहां बता दें कि जेएसएससी ने उक्त कंपनी कोशों काज दायर करते हुए कहा था कि क्यों नहीं उन्हें क्वेश्चन पेपर लीक मामले में ब्लैकलिस्टेड किया जाए। क्योंकि ना तो एग्जामिनेशन सेंटर में नहीं ट्रेजडी में क्वेश्चन पेपर के खुलने की शिकायत मिली है। न एग्जाम का जो थर्ड पेपर लीक हुआ है वह आपके ऑफिस से हुआ है।