Ranchi: झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव और जस्टिस दीपक रौशन की खंडपीठ में पत्थर खनन लीज निरस्त करने के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद अदालत ने तथ्यों को छुपाने पर नाराजगी जताते हुए
सरकार पर 2 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। अदालत ने उक्त राशि प्रार्थी को भुगतान करने का निर्देश दिया है। अदालत ने पलामू उपायुक्त और खान आयुक्त के उस आदेश को निरस्त कर दिया, जिसके तहत प्रार्थी का खनन लीज निरस्त किया गया था। इस संबंध में प्रार्थी आनंद कुमार सिंह ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता राहुल कुमार ने अदालत को बताया कि आनंद कुमार सिंह पलामू जिले में पत्थर खनन का लीज मिला था।
लेकिन बिना किसी सूचना और पक्ष सुने ही उनका लीज निरस्त कर दिया गया। पलामू उपायुक्त के आदेश का हवाला देते हुए खनन पदाधिकारी ने लीज निरस्त करने का आदेश पारित किया। लेकिन उपायुक्त के आदेश से संबंधित दस्तावेज प्रार्थी को नहीं दिया गया। झारखंड लघु खनिज समादान नियमावली की धारा 27 में लीज निरस्त करने का अधिकार समाहर्ता (उपायुक्त) के पास है। इस
मामले में प्रार्थी को न तो उपायुक्त की ओर से कोई शोकाज किया गया और न ही उनका पक्ष सुना गया। जिला खनन पदाधिकारी ने उपायुक्त के आदेश का हवाला देकर लीज को निरस्त कर दिया, जो कानूनी रूप से सही नहीं है। मामले
में नैसर्गिक न्याय का पालन नहीं किया गया।