Pension: झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस डॉ एसएन पाठक की अदालत ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि किसी सेवानिवृत्ति लाभ प्राप्त करना किसी कर्मचारी का संवैधानिक और मौलिक अधिकार है न कि अधिकारियों के विवेकाधीन अधिकार। किसी कर्मचारी को सेवानिवृत्ति लाभ का भुगतान नहीं रोका जा सकता जब तक की भुगतान में कोई कानूनी बाधा न हो।
अदालत ने एक सेवानिवृत्त सहायक शिक्षक की याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया। अदालत ने प्रार्थी को छह प्रतिशत ब्याज के साथ सेवानिवृत्ति और सभी बकाया का भुगतान करने का निर्देश सरकार को दिया। छह सप्ताह के बाद भुगतान किए जाने पर 18 प्रतिशत की दर से भुगतान करने का आदेश कोर्ट ने सरकार को दिया है।
प्रार्थी सेवानिवृत्ति लाभ पाने का अधिकारी
अपने आदेश में कोर्ट ने कहा कि इस मामले में अपीलीय प्राधिकार ने प्रार्थी के बर्खास्तगी का आदेश रद्द कर दिया है। आदेश रद्द होने के बाद प्रार्थी फिर सेवा में बहाल हो गया। इसके बाद वह सेवानिवृत्त हो गया। ऐसे में उसके सेवानिवृत्ति लाभ का भुगतान कैसे रोका जा सकता है। प्रार्थी को सेवानिवृत्ति लाभ पाने का पूरा अधिकार है।
सहायक शिक्षक से संबंधित मामला
प्रार्थी श्रवण कुमार ने अपनी याचिका में कहा था कि वह पाकुड़ जिला में सहायक शिक्षक के पद पर था। उस पर स्कूलन भवन के निर्माण में अनियमितता बरतने का आरोप था। इस कारण उसे दो जुलाई 2020 को बर्खास्त कर दिया गया। अपनी बर्खास्तगी को उसने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। इस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने प्रार्थी की अपीलीय प्राधिकार के पास जाने का निर्देश दिया था।
इसके बाद प्रार्थी ने अपीलेट अथॉरिटी संथाल परगना के आयुक्त के समक्ष अपनी बर्खास्तगी आदेश को चुनौती दी थी। आयुक्त ने 6 जनवरी 2022 को उसकी बर्खास्तगी आदेश निरस्त कर दिया। 31 जनवरी 2023 को प्रार्थी सेवानिवृत हो गया। इसके बाद प्रार्थी ने अपनी सेवानिवृत्ति लाभ, पेंशन आदि अन्य लाभ दिलाने का आग्रह विभाग से किया। विभाग ने उसे सेवानिवृत्ति लाभ, पेंशन, ग्रेच्युटी जीपीएफ, लीव इनकैशमेंट सहित अन्य सुविधा का भुगतान नहीं किया और कोई स्पष्ट कारण भी नहीं बताया गया। इसके बाद प्रार्थी ने पुन: हाईकोर्ट में याचिका दायर की।