लालू प्रसाद यादव के लिए गुरुवार भारी पड़ गया है। एक दिन में उनके खिलाफ खिलाफ प्राथमिकी, झारखंड हाई कोर्ट में जनहित याचिका और निदेशक बंगला छिन गया है। रिम्स के निदेशक बंगले से अब उन्हें पेईंग वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है। वहीं, फोन प्रकरण में बिहार में प्राथमिकी दर्ज की गई है। इसके अलावा झारखंड हाईकोर्ट में जेल मैन्युअल का उल्लंघन करने की मांग करते हुए पीआईएल दाखिल किया गया है।
लालू प्रसाद पर जेल में रहते हुए मोबाइल से बिहार एनडीए के विधायकों को सत्ता का लोभ देते हुए नीतीश सरकार को अस्थिर करने का आरोप लगा है। इस मामले की जांच की मांग को लेकर भाजपा नेता अनुरंजन अशोक ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है। याचिका में कहा गया है कि लालू प्रसाद पिछले दो साल से रिम्स के पेईंग वार्ड और अब निदेशक बंगले में रहकर इलाज करा रहे हैं।
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उनको सेवादार सहित अन्य प्रकार की सुविधाएं मिली हैं, जो सरकार और जेल अधिकारियों के बिना मिलीभगत के संभव नहीं है। ऐसे में लालू प्रसाद को किस नियम के तहत इतनी सुविधा दी गई है, इसकी जांच की जाए। हालांकि विधायक को फोन करने के मामले की जांच को लेकर सरकार की ओर से कमेटी बना दी गई है। याचिका में हाई कोर्ट के पूर्व के आदेशों का हवाला दिया गया है।
कहा गया है कि पूर्व में भी रिम्स कॉटेल में राजनीतिक कैदी रहते थे। इस पर कोर्ट ने संज्ञान लिया था और कहा था कि अगर किसी राजनीतिक कैदी को किसी प्रकार की बीमारी है, तो उसके इलाज के लिए जेल में अस्थायी व्यवस्था की जा सकती है। हाई कोर्ट के आदेश के बाद उसे दौरान सभी राजनीतिक कैदियों को जेल भेज दिया गया था, लेकिन लालू प्रसाद यादव दो साल से रिम्स के पेईंग वार्ड में भर्ती हैं।
इधर, लालू प्रसाद की जमानत पर 27 नवंबर को सुनवाई होनी है। बताया जा रहा है कि सीबीआई इस पूरे प्रकरण को कोर्ट के समक्ष उठाएगी। ऐसे में लालू की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। क्योंकि यह प्रकरण जेल मैन्युअल का खुला उल्लंघन है।