Court News: ओडिशा के वरीय जज जस्टिस बीआर सारंगी झारखंड हाई कोर्ट के नए चीफ जस्टिस होंगे। इसको लेकर केंद्र सरकार की ओर से अधिसूचना जारी कर दी गई है। जस्टिस सारंगी ओडिशा हाई कोर्ट के जज है। पूर्व में सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम ने उन्हें झारखंड हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस बनाए जाने की अनुशंसा केंद्र सरकार से की थी। अब राष्ट्रपति ने इसकी अनुमति प्रदान कर दी है। कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने एक्स पर इसकी जानकारी दी है।
जस्टिस एस चंद्रशेखर का राजस्थान तबादला
झारखंड हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एस चंद्रशेखर का ट्रांसफर राजस्थान हाई कोर्ट कर दिया गया है। उनकी ओर से कॉलेजियम को अपने स्थानांतरण किए जाने का आग्रह किया गया था। जिस पर सहमति जताते हुए कॉलेजियम ने केंद्र सरकार से उनके ट्रांसफर करने की अनुशंसा की थी अब उनके स्थानांतरण पर केंद्र सरकार ने मुहर लगा दी है और उनका ट्रांसफर राजस्थान हाई कोर्ट कर दिया गया है।
जानें जस्टिस बीआर सारंगी के बारे में
ओडिशा हाई कोर्ट के वरीयतम जज जस्टिस डॉ. बीआर सारंगी झारखंड हाई कोर्ट के नए चीफ जस्टिस होंगे। जस्टिस सारंगी ने 27 साल की प्रैक्टिस के बाद 20 जून 2013 को ओडिशा हाई कोर्ट के जज नियुक्त हुए थे। बता दें कि झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा 28 दिसंबर को सेवानिवृत्त हो गए हैं। नए चीफ जस्टिस के पद संभालने तक जस्टिस एस चंद्रशेखर कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश बनाए गए हैं।
जस्टिस डॉ. बीआर सारंगी का जन्म 20 जुलाई, 1962 को नयागढ़ जिले के ओडागांव के पेंटीखारिसन गांव में हुआ था। उनके पिता स्वर्गीय बंचनिधि सारंगी, जो उड़ीसा वित्त सेवा कैडर के वरिष्ठ अधिकारी थे।
डॉ. जस्टिस सारंगी ने एच.एस.सी. उत्तीर्ण की और एलएलएम एम.एस से उत्कल विश्वविद्यालय, वाणीविहार, भुवनेश्वर के अंतर्गत लॉ कॉलेज, कटक से किया। संबलपुर विश्वविद्यालय से कानून में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की।
27 साल प्रैक्टिस के बाद जज बने डॉ बीआर सारंगी
दिसंबर, 1985 में बार में शामिल हुए और उड़ीसा उच्च न्यायालय, कटक और भारत के सर्वोच्च न्यायालय, नई दिल्ली में नियमित प्रैक्टिस किया। उड़ीसा उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन, सिविल कोर्ट बार एसोसिएशन, क्रिमिनल कोर्ट बार एसोसिएशन और सेंट्रल ट्रिब्यूनल के आजीवन सदस्य भी रहे।
बीआर सारंगी ने विशेष रूप से दीवानी, आपराधिक, संवैधानिक, राजस्व, कर, श्रम, सेवा, खनन, शिक्षा, बिजली, बीमा, बैंकिंग, टेलीफोन, चुनाव आदि में मामलों में पक्ष रखा।कई महत्वपूर्ण मामलों में न्यायालय की सहायता के लिए मध्यस्थ, अधिवक्ता आयोग और न्याय मित्र के रूप में नियुक्त किया गया।
एक वकील के रूप में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए वर्ष 2002 के लिए तत्कालीन जस्टिस पी.के. द्वारा स्वर्ण पदक के साथ “हरिचरण मुखर्जी मेमोरियल अवार्ड” से सम्मानित किया गया। उन्होंने बार में 27 वर्षों की लंबी प्रैक्टिस पूरी की। 20 जून, 2013 को उड़ीसा उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के रूप में शपथ दिलाई गई।