रांचीः झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) के जस्टिस डॉ. एसएन पाठक की अदालत में संविदा पर कार्यरत प्राध्यापकों को हटाने के खिलाफ दाखिल याचिका पर गुरुवार को सुनवाई हुई।
सुनवाई के बाद अदालत ने कुलाधिपति और राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को प्रतिवादी बनाने का निर्देश दिया है। अदालत ने पूछा है कि नियुक्ति के लिए कब-कब अधियाचना भेजी गई है।
अदालत ने अपने पूर्व के कई आदेशों का हवाला देते हुए कहा कि सरकार राज्य में स्थायी नियुक्ति क्यों नहीं कर रही है। किन परिस्थितियों में ऐसा किया जा रहा है। यह समझ के परे है।
कुलपति को पक्ष रखने को कहा
अदालत ने प्रतिवादियों को दस सितंबर तक अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है। इस संबंध में सिदो-कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय के राजनीतिक शास्त्र के प्रोफेसर प्रमिला सोरेन सहित पांच ने याचिका दाखिल की है।
सुनवाई के दौरान अधिवक्ता अपराजिता भारद्वाज ने अदालत को बताया कि प्रार्थी अनुबंध पर विश्वविद्यालय में अध्यापन कर रहे थे। विश्वविद्यालय ने एक आदेश जारी कर उनकी सेवा समाप्त कर दी।
विश्वविद्यालय की ओर से अदालत को बताया गया कि इन पदों पर स्थायी नियुक्ति की जा रही है। इस कारण उनकी सेवा समाप्त की गई है।
प्रार्थियों का कहना था कि विश्वविद्यालय ने अनुबंध पर काम कर रहे अन्य शिक्षकों की सेवा जारी रखा गई है, जबकि उनकी नियुक्ति प्रार्थियों के बाद की गई है।
विश्वविद्यालय का यह आदेश भेदभावपूर्ण है। इसलिए इसे निरस्त किया जाए। इसके बाद अदालत ने कुलाधिपति और कुलपतियों को प्रतिवादी बनाया है।