झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस आर मुखोपाध्याय की अदालत में नगर निकाय चुनाव जल्द कराने की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत ने नाराजगी जताते हुए राज्य सरकार से पूछा कि ओबीसी आरक्षण को लेकर जब ट्रिपल टेस्ट आयोग का गठन किया गया है तो अब तक अध्यक्ष की नियुक्ति क्यों नहीं की गई है?।
अदालत ने सरकार को शपथपत्र के माध्यम से अध्यक्ष की नियुक्ति और निकाय चुनाव कराए जाने को लेकर जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई आठ नवंबर को होगी। सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता विनोद सिंह ने अदालत को बताया कि ओबीसी आरक्षण को लेकर आयोग का गठन तो कर लिया गया है लेकिन इसके अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं की जा रही है। जानबूझ कर चुनाव को लटकाया जा रहा है।
इस पर अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि नगर निकाय के निर्वाचित प्रतिनिधियों को अवधि पूरा होने के बाद भी करीब छह माह बीत चुके हैं। अब तक सरकार ने आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं की है, जबकि आयोग को ओबीसी के डाटा का अध्ययन कर उनके लिए आरक्षित सीटों पर निर्णय लेना है।
निकाय चुनाव तक पार्षदों को मिले अधिकार
इस दौरान सरकार की ओर से कहा गया कि छह माह में राज्य में सभी नगर निकायों का चुनाव कर लिया जाएगा। बता दें कि निवर्तमान पार्षद रोशनी खलखो सहित अन्य की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। जिसमें राज्य में जल्द ही निकाय चुनाव कराने की मांग की गई है।
जब तक चुनाव नहीं होता है तब तक वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में वर्तमान पार्षद को तदर्थ रूप में दायित्व का निर्वहन करने का आदेश देने की मांग की गई है। राज्य सरकार ने 34 निकायों के निर्वाचित प्रतिनिधियों का कार्यकाल समाप्त कर सभी शक्तियां और कार्य प्रशासन को सौंपने का निर्णय लिया है।
निकायों में पदस्थापित नगर आयुक्त, अपर नगर आयुक्त या कार्यपालक पदाधिकारी अगले आदेश तक प्रशासक के रूप में कार्य कर रहे है। रांची नगर निगम में प्रशासक नियुक्त करने के आदेश को भी चुनौती दी गई है।
Facebook Page | Click Here |
Website | Click Here |