Torture in police custody: झारखंड हाईकोर्ट ने लातेहार के अनिल कुमार सिंह को पुलिस कस्टडी में यातना करने के मामले में फैसला सुनाया है। अदालत ने सरकार को अनिल कुमार सिंह को पांच लाख मुआवजा देने का निर्देश दिया है। मुआवजा की राशि दोषी अधिकारी से वसूलने को कहा है। गारू थाना के तत्कालीन प्रभारी रंजीत कुमार यादव पर अनिल कुमार सिंह को नक्सली के संदेह में घर से उठाकर थाने में यातना करने का आरोप है। इसको लेकर अनिल कुमार सिंह ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है।
प्रार्थी की ओर से अदालत को बताया था अनिल कुमार सिंह को गारू थाना की तत्कालीन थाना प्रभारी रंजीत कुमार यादव ने उसके घर से उठाकर 2 दिनों तक उसे थाने में रखा था और उसे काफी टार्चर किया था। इस संबंध में अनिल कुमार द्वारा थाना में प्राथमिकी के लिए आवेदन दिया गया था। सात माह बाद रंजीत कुमार यादव के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई। लेकिन अब तक तत्कालीन थाना प्रभारी पर किसी तरह का कार्रवाई नहीं हुई है। तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी घटना पर संज्ञान में लेते हुए ट्वीट कर पुलिस अधिकारियों को दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया था।
प्रार्थी का यह भी कहना था कि जिस थाना में उसने रंजीत कुमार यादव के खिलाफ मामला दर्ज है, उसके वे थाना प्रभारी थे। ऐसे में मामले की जांच की निष्पक्ष जांच नहीं हो सकती है। इसलिए मामले को सीआइडी या किसी स्वतंत्र एजेंसी को दिया जाए। लातेहार के छिपादोहर थाना क्षेत्र निवासी अनिल कुमार सिंह को 22 फरवरी 2022 को गारू थाना पुलिस ने उठाया था। बाद में पुलिस ने कहा कि पहचानने में गलती हुई है, गलती से उसे उठाया गया है।