Ranchi: Heavies Corpus झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस अनुभा रावत चौधरी की अदालत ने अनगड़ा के एक ही परिवार के पांच लोगों के पुलिस द्वारा किसी अज्ञात स्थान पर ले जाने के मामले में सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है। अदालत ने सरकार से पूछा है कि सभी पांच लोग कहां है और उन्हें पुलिस क्यों उठा कर ले गई है।
इस मामले में आठ सितंबर तक शपथपत्र दाखिल करना है। इस मामले में चैता बेदिया की ओर से झारखंड हाईकोर्ट में हैवियस कार्पस (बंदी प्रत्यक्षीकरण) याचिका दाखिल की गई है। याचिका में अनगड़ा के एक परिवार के सदस्यों के पुलिस द्वारा उठा कर ले जाने और इसकी जानकारी नहीं देने का आरोप लगाया गया है। अदालत से परिजनों को कोर्ट के समक्ष पेश करने का आग्रह किया है।
प्रार्थी की ओर से राज्य के डीजीपी, रांची के एसएसपी, ग्रामीण एसपी और अनगड़ा थाना प्रभारी को प्रतिवादी बनाया है। बेदिया ने आरोप लगाया है कि कुछ पुलिसकर्मी उसके घर पहुंचे और उनके पिता शिवाली बेदिया, बहन पुष्पमनी, पत्नी सुपोती देवी, और उसके दो बच्चों को जबरन अपने साथ ले गए। जिस समय पुलिस उनके घर पहुंची उस समय वह घर में नहीं था।
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14 अगस्त को वह काम के सिलसिले में गिरिडीह गया था। 15 अगस्त को उन्हें पुलिस के आने और परिजनों को ले जाने की सूचना मिली। उनके परिजन कहां है इसकी जानकारी उन्हें नहीं है। अदालत से उन्होंने परिजनों की तलाश कर कोर्ट के सामने पेश करने का आग्रह किया है। कहा गया है कि पुलिस ने परिजनों को उठाने का कोई कारण नहीं बताया है और सभी लोग अभी कहां हैं इसकी जानकारी भी नहीं दी जा रही है।
याचिका में प्रार्थी ने कहा है कि उन्हें पता चला है कि बाबूलाल मरांडी के सलाहकार सुनील तिवारी के खिलाफ गलत मामला दर्ज करने के लिए परिजनों को उठाया गया है। उनके खिलाफ फर्जी मामला दर्ज किया गया है। प्रार्थी का कहना है कि सुनील तिवारी के घर पर रह कर उनके भाई ने पढ़ाई की है और वह अभी चेन्नई में नौकरी कर रहा है। उसकी पढ़ाई का खर्च भी सुनील तिवारी ने ही वहन किया था।