केजरीवाल न्यूजः आबकारी नीति से जुड़े भ्रष्टाचार मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत और गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टल गई। शीर्ष अदालत ने याचिकाओं पर 5 सितंबर को सुनवाई करने का फैसला किया है।
हालांकि, इससे पहले, सीबीआई ने शीर्ष अदालत में हलफनामा दाखिल कर केजरीवाल की जमानत याचिका का विरोध करते हुए उन पर मामले को राजनीतिक रूप से सनसनीखेज बनाने का आरोप लगाया।
सीबीआई ने कहा कि पूछताछ में केजरीवाल ने सवालों का सीधे जवाब देने के बजाए टालमटोल किया और जांच में सहयोग नहीं किया, इसलिए उनकी गिरफ्तार जरूरी थी। इसके अलावा, जांच एजेंसी ने बीमारी के आधार पर केजरीवाल की अंतरिम जमानत की मांग का भी विरोध किया। सीबीआई ने कहा कि जेल में रहते हुए केजरीवाल जेल के अस्पताल या किसी अन्य अस्पताल में इलाज करा सकते हैं।
आप ने कहा, न्यायालय पर भरोसा सुप्रीम कोर्ट में सीएम केजरीवाल की सुनवाई पर आतिशी ने कहा कि सबको पता है कि मुख्यमंत्री, पूर्व उपमुख्यमंत्री, सांसद संजय सिंह समेत सभी आप नेताओं को झूठे मुकदमे फंसाया जा रहा है। यह भारत के इतिहास में भ्रष्टाचार का पहला ऐसा केस रहा होगा, जहां भ्रष्टाचार का एक रुपया तक बरामद नहीं हो पाया है। भाजपा की साजिश सीएम को परेशान करना है। उन्हें जेल में रखना है। दिल्लीवालों को काम रोकना है। हमें न्यायालय पर पूरा भरोसा है, जिस तरह से उच्च न्यायालय ने मुख्यमंत्री को ईडी के केस में राहत दी है।
आबकारी नीति बनाने में भूमिका
जस्टिस सूर्यकांत और उज्जल भुइयां की पीठ के समक्ष सीबीआई के पुलिस अधीक्षक (एसपी) शुभेंद्र कट्टा ने सुप्रीम कोर्ट में केजरीवाल की जमानत याचिका पर अपना हलफनामा दाखिल किया। हलफनामे में कहा गया कि रद्द कर दी गई आबकारी नीति बनाने में मुख्यमंत्री केजरीवाल की महत्वपूर्ण भूमिका थी। उन्हीं के इशारे पर ही सभी निर्णय लिए गए थे। सीबीआई ने दावा किया कि केजरीवाल की संलिप्तता को लेकर उसके पास पर्याप्त साक्ष्य हैं।
‘तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सिसोदिया से मिलीभगत’
इस मामले में, शुक्रवार को सुनवाई शुरू होते ही केजरीवाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने सीबीआई ने गुरुवार को सिर्फ जमानत याचिका पर अपना जवाब दाखिल किया है, लेकिन गिरफ्तारी और रिमांड आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर जवाब दाखिल नहीं किया। इस पर, सीबीआई की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू ने जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई 5 सितंबर तक के लिए स्थगित कर दी।
सीबीआई ने शीर्ष अदालत से कहा कि भले ही मुख्यमंत्री केजरीवाल के पास कोई विभाग नहीं है, लेकिन जांच में यह तथ्य सामने आया है कि 2021-22 के लिए नई आबकारी नीति बनाने में सभी निर्णय तत्कालीन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की मिलीभगत से लिए गए थे। इसके अलावा, सीबीआई ने यह भी कहा कि केजरीवाल प्रथम दृष्टया अपने पक्ष में जमानत पाने का मामला बनाने में विफल रहे हैं। सीबीआई ने कहा कि जहां तक केजरीवाल को धन शोधन मामले में अंतरिम जमानत मिलने का सवाल है तो उस मामले के तथ्य व परिस्थितियां पूरी तरह से अलग हैं।