New Delhi: सुप्रीम कोर्ट ने रिलायंस रिटेल (Reliance Retail) के साथ फ्यूचर रिटेल लिमिटेड (Future Retail Limited) के विलय के लिए 24,713 करोड़ रुपए के सौदे के खिलाफ ई-कॉर्म्स कंपनी अमेजन की याचिकाओं पर सुनवाई पूरी कर ली। न्यायालय इस पर अपना फैसला बाद में सुनायेगा।
इस सौदे को लेकर अमेरिका की ई-कॉमर्स क्षेत्र की दिग्गज कंपनी अमेजनडॉटकॉम एनवी इन्वेस्टमेंट होंल्डिंग्स एलएलसी तथा एफआरएल कानूनी लड़ाई में उलझे हैं। अमेजन ने न्यायालय में कहा है कि सिंगापुर के आपातकालीन पंचाट (ईए) का एफआरएल को रिलायंस रिटेल के साथ विलय सौदे से रोकने का फैसला ‘वैध’ है और इसका क्रियान्वयन कराया जाना चाहिए।
इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने एफआरएल और वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रहमण्यम ने अमेजन की पैरवी करते हुए अपनी-अपनी दलीलें दीं, जिसके बाद जस्टिस आरएफ नरीमन और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने कहा कि तो अब हम मामला में सुनवाई बंद करते हैं। फैसला सुरक्षित रखा जाता है।
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साल्वे ने ईए के फैसले की वैधता और उसके क्रियान्वयन के योग्य होने संबंधी निर्णयों का जिक्र किया और कहा कि मध्यस्थता और सुलह पर भारतीय कानून के तहत ईए के संबंध में कोई प्रावधान नहीं है और किसी भी मामले में इस आशय का कोई मध्यस्थता समझौता नहीं है।
साल्वे ने ईए के फैसले को वैध बताने वाले दिल्ली हाईकोर्ट के एकल पीठ के आदेश का जिक्र करते हुए कहा कि भारतीय कानून के तहत ईए के लिए कोई प्रावधान नहीं है। दूसरी ओर, अमेजन ने पीठ से कहा कि फ्यूचर ग्रुप के बियानी परिवार ने कुछ समझौता करने के लिए उसके साथ बातचीत की थी और वह ईए के उस फैसले को मानने के लिए बाध्य हैं, जिसमें एफआरएल को रिलायंस रिटेल के साथ विलय के सौदे पर आगे बढ़ने से रोक लगायी गयी है। उसने दोहराया कि ईए का फैसला लागू किया जाना चाहिए।
अमेजन ने रिलायंस-एफआरएल सौदे का रास्ता साफ करने वाले दिल्ली हाईकोर्ट की खंड पीठ के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है। पीठ ने आठ फरवरी को सौदे के संबंध में एकल न्यायाधीश के उस आदेश पर रोक लगा दी थी, जिसमें उन्होंने एफआरएल और विभिन्न वैधानिक निकायों से यथास्थिति बनाए रखने के लिए कहा था। पीठ ने एकल न्यायाधीश के दो फरवरी के आदेश को चुनौती देने वाली एफआरएल की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह अंतरिम आदेश दिया था।
फ्यूचर समूह ने पिछले साल अगस्त में अपनी खुदरा, थोक बिक्री, साजो सामान और गोदाम इकाइयों को रिलायंस को बेचने का समझौता किया था। इसके बाद अमेजन फ्यूचर समूह द्वारा अनुबंध के कथित उल्लंघन का मामला ईए में लेकर गई।