‘जज का फैसला बिल्कुल ठीक’, हेमंत सोरेन की जमानत पर ED की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने की खारिज
जमीन घोटाला मामले में आरोपी सीएम हेमंत सोरेन को बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की खंडपीठ हाई कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया। अदालत ने कहा कि हाई कोर्ट का आदेश बिल्कुल तर्क पूर्ण है। इसलिए इसमें हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है। अदालत ने ईडी की याचिका खारिज कर दी।
ईडी की ओर से हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए हेमंत सोरेन की जमानत खारिज किए जाने की मांग की गई है। इसको लेकर ईडी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में 8 जुलाई 2024 को SLP(Crl) दाखिल की गई है। बता दें कि हाई कोर्ट के जस्टिस आर मुखोपाध्याय की अदालत ने 28 जून को हेमंत सोरेन को जमानत की सुविधा प्रदान की थी। अदालत ने उन्हें 50-50 हजार रुपये के दो निजी मुचलके पर रिहा करने का आदेश दिया था। जिसके बाद वह जेल से बाहर निकले और पुनः मुख्यमंत्री का पद संभाला है।
बड़गाईं अंचल के 8.66 एकड़ जमीन के घोटाले में हेमंत सोरेन को जमानत प्रदान करते हुए अदालत ने कहा कि ईडी ने हेमंत सोरेन पर जमीन पर कब्जा करने का जो आरोप लगाया है, उससे संबंधित एक भी दस्तावेज अभी तक ईडी कोर्ट में पेश नहीं कर सकी है। ईडी ने इस मामले में जिन लोगों के बयान लिए हैं, उससे भी साबित नहीं हो पा रहा है कि वह जमीन हेमंत सोरेन से जुड़ी है।
अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि पूरा केस को देखने के बाद हेमंत सोरेन का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जमीन के अधिग्रहण और कब्जे में शामिल होने की बात साबित नहीं हो रही है। किसी भी रजिस्टर, राजस्व रिकार्ड में उक्त भूमि के अधिग्रहण और कब्जे में याचिकाकर्ता की प्रत्यक्ष भागीदारी का भी कोई संकेत नहीं है। ईडी का यह दावा है कि उस समय पर की गई कार्रवाई ने अभिलेखों में जालसाजी और हेराफेरी करके भूमि के अवैध अधिग्रहण को रोका है।
इस आरोप की पृष्ठभूमि में विचार करने पर प्रतीत होता है कि भूमि पहले से ही अधिग्रहित थी और प्रार्थी ने उस पर कब्जा कर लिया था। ईडी ने जो भी आरोप लगाए हैं और जिन लोगों के बयान पेश किए हैं, वह प्रार्थी को इस जमीन से संबंध रखने की पुष्टि नहीं करते हैं। ऐसे में अदालत प्रार्थी की जमानत याचिका स्वीकार करती है। प्रार्थी के जमानत पर बाहर निकलने के बाद किसी तरह की कोई समस्या होगी, ऐसी आशंका अदालत को नहीं है। अदालत जमानत पर रिहा करने का आदेश पारित करती है