झारखंड हाई कोर्ट ने गलत तथ्य पेश करने के मामले में संबंधित अधिकारी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने का आदेश दिया है। अदालत ने कहा कि अधिकारी कोर्ट में गलत तथ्य पेश कर रहे हैं। इसलिए उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। उक्त आदेश चीफ जस्टिस डा बीआर सारंगी व जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ ने दिया है।
खंडपीठ दुष्कर्म पीड़िता को सहायता और पुनर्वास योजना के लागू कराने की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई कर रही थी। सुनवाई के दौरान राज्य की ओर से सभी जिलों में वन स्टॉप सेंटर (पीड़िता सहायता सेंटर) बनाए जाने की बात कही गई थी। इसको लेकर शपथ पत्र दाखिल किया गया था।
अदालत ने इस बारे में पूरी जानकारी होने का हवाला देते हुए कहा कि संबंधित अधिकारी कोर्ट में गलत तथ्य पेश कर रहे हैं। ऐसा करने वाले अधिकारी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई जाए। अदालत ने इस मामले में अधिवक्ता सुमित गाडोदिया को न्याय मित्र बनाया है।
सुमित गाडोदिया की ओर से कहा गया है कि इस तरह के मामले में सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश के बाद तेलंगाना में भरोसा सेंटर बनाया गया है। इसी दौरान सरकार की ओर से शपथ पत्र दाखिल कर बताया गया कि सभी जिलों में वन स्टाप सेंटर बना दिया गया है। इस पर अदालत ने कहा कि यह तथ्य गलत है। अभी तक सभी जिलों में वन स्टाप सेंटर कार्यरत नहीं है। इसलिए ऐसी भ्रामक सूचना देने वाले अधिकारी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई जाए।