Fake degree controversy: फर्जी डिग्री विवाद पर सांसद निशिकांत दुबे की ओर से बहस पूरी, अब सरकार रखेगी पक्ष

Ranchi: झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत में गोड्डा सांसद डॉ निशिकांत दुबे (Dr. NishiKant Dubey) की फर्जी डिग्री मामले (Fake degree controversy) में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि अब इस मामले में अपर महाधिवक्ता पक्ष रखेंगे, इसलिए उन्हें समय दिया जाए। अदालत ने सरकार के आग्रह को स्वीकार कर लिया, लेकिन मौखिक रूप से कहा कि इस मामले में सरकार की ओर से हर बार बेवजह समय लेना ठीक नहीं है।

इसके बाद अदालत ने मामले की अगली सुनवाई छह जनवरी को निर्धारित की है। हालांकि अदालत ने निशिकांत दुबे को पूर्व में दी गई अंतरिम राहत को बरकरार रखा है। पूर्व में कोर्ट ने इनके खिलाफ पीड़क कार्रवाई पर रोक लगा दी थी। सुनवाई के दौरान वरीय अधिवक्ता आरएस मजूमदार और प्रशांत पल्लव ने अदालत को बताया कि उनके पास एमबीए की डिग्री है और यह राजस्थान के प्रताप विश्वविद्यालय से मिली है।

ऐसे में यह कहना गलत है कि उनकी डिग्री फर्जी है। इस मामले की शिकायत चुनाव आयोग से की गई थी। जांच के बाद आयोग ने उन्हें क्लीन चिट दी है। इस मामले में राज्य सरकार राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित होकर काम कर रही है। यह मामला वर्ष 2014 में निशिकांत दुबे की ओर से चुनाव में दिए गए शपथ पत्र के आधार पर किया गया है। लेकिन चार साल बाद वर्ष 2019 में इनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।

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जबकि इसके लिए एक साल के अंदर ही कार्यवाही होनी चाहिए। निशिकांत दुबे की ओर से बहस पूरी कर ली गई। लेकिन राज्य सरकार की ओर से इस मामले में अपर महाधिवक्ता की ओर से बहस किए जाने का हवाला देकर समय की मांग की गई। बता दें कि प्राथमिकी दर्ज किए जाने को निरस्त करने की मांग को लेकर निशिकांत दुबे ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है।

पेड़ों की अवैध कटाई को लेकर पीआईएल दाखिल
आम्रपाली से शिवपुर साइडिंग तक सड़क निर्माण में अतिक्रमण करने और अवैध तरीके से पेड़ों की कटाई के विरोध में झारखंड हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है। इस संबंध में मंटू कुमार ने याचिका दाखिल की है। इसमें कहा गया है कि वन क्षेत्र में बगैर अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त किए लगभग एक एकड़ भूमि पर 500 सखुआ पेड़ काटकर सड़क निर्माण कर दिया है।

अदालत से वन क्षेत्र को अतिक्रमण मुक्त करने और दोबारा पौधे लगाने का निर्देश देने का आग्रह किया गया है। याचिका में कहा गया है कि पूर्व में भी आरकेटीसी कंपनी द्वारा आम्रपाली परियोजना से फुलबसिया रेलवे साइडिंग तक कोयले की ढुलाई के लिए कुमरांग कला के वन क्षेत्र में अतिक्रमण किया गया था जिससे चतरा डीएफओ पर कई प्रकार के सवाल उठ रहे थे। इसके बाद कुमरांग कला में आरकेटीसी के द्वारा बनाई गई सड़क को काट कर पौधा रोपण करते हुए अतिक्रमण मुक्त करा लिया था।

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