अलकतरा घोटालाः सड़क मरम्मत का कार्य फाइलों में दिखाकर आरईओ वर्क्स डिवीजन रांची के इंजीनियरों द्वारा ठेकेदारों की मिलीभगत से लाखों रुपए सरकारी राशि का गबन करने से जुड़े 25 साल पुराने मामले में 29 जून को सीबीआई कोर्ट फैसला सुनाएगा। मामले में बहस पूरी होने के बाद अदालत ने फैसले की तिथि 29 जून निर्धारित की है।
अलकतरा घोटाले के नाम से चर्चित इस मुकदमे में तीन आरोपी जूनियर इंजीनियर विवेकानंद चौधरी, कुमार विजय शंकर (दोनों सेवानिवृत्त) एवं बिनोद कुमार मंडल ट्रायल फेस कर रहे हैं। तीनों पर आरईओ वर्क्स डिवीजन रांची में पदस्थापित रहते हुए पद का दुरुपयोग करते हुए आपराधिक षड्यंत्र के तहत लाखों रुपए सरकारी राशि का गबन करने का आरोप है।
साल 1992 से 1997 तक चला खेल
यह घोटाला साल 1992-93 से लेकर 1997 तक जारी रहा। घोटाला प्रकाश में आने के बाद इसकी जांच सीबीआई से कराई गई। सीबीआई ने छह दिसंबर 1999 को प्राथमिकी दर्ज कर तफ्तीश प्रारंभ की। जांच पूरी करते हुए सीबीआई ने पांच लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। इनमें दो की मृत्यु ट्रायल के दौरान हो गई है।
12 में से 11 सड़क की मरम्मत फाइलों में
आरोपियों ने 12 सड़क की मरम्मत का कार्य दिखा उसी के अनुसार बिटुमिन की मांग की। लेकिन आरोपियों ने 11 सड़क की मरम्मत का कार्य फाइलों में दिखाकर सरकारी राशि का गबन कर लिया था। लगभग 1500 मिट्रिक टन बिटुमिन आईओसीएल से ट्रांसपोर्टर के माध्यम से आरोपियों ने प्राप्त किया।
अलकतरा लानेवाले को ट्रांसपोर्टर चालान भी दिया, लेकिन स्टॉक रजिस्टर में प्राप्ति से काफी कम मात्रा दिखायी गई। इस गबन को छुपाने के लिए एक फर्जी एकाउंट जनवरी 1997 को तैयार किया गया था। इस एकाउंट में न ही आपूर्ति आदेश और न ही ट्रक नंबर अंकित था।