Bail granted in Dhoni case: पूर्व भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के पूर्व बिजनेस पार्टनर अरका स्पोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड एंड मैनेजमेंट लिमिटेड के मिहिर दिवाकर को रांची सिविल कोर्ट से अग्रिम राहत की सुविधा मिल गई है। इसी मामले में आरोपी मिहिर दिवाकर की पत्नी सौम्या दास को भी अदालत ने राहत प्रदान की है। महेंद्र सिंह धोनी की ओर से सीमांत लोहानी ने अक्तूबर 2023 में धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए सिविल कोर्ट रांची में आपराधिक मामला दर्ज किया है। इसी के बाद से दोनों की मुश्किलें बढ़ी हुई थी। ऊधर मामले में दोनों को पांच जुलाई को कोर्ट में उपस्थिति की तारीख निर्धारित है।
सिविल कोर्ट रांची के अपर न्यायायुक्त विशाल श्रीवास्तव की अदालत ने मिहिर दिवाकर की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई पश्चात अदालत ने अग्रिम जमानत याचिका को स्वीकार कर लिया। इससे पूर्व दाखिल याचिका पर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता संजय कुमार विद्रोही, प्रमोद कुमार शर्मा एवं शंकर कुमार ने संयुक्त रूप से बहस की। बहस के दौरान कहा कि मिहिर दिवाकर के खिलाफ जो आपराधिक केस दर्ज किया गया है। वह गलत है।
धोनी और मिहिर दोनों व्यवसायिक पार्टनर थे। अगर कोई विवाद हुआ था तो आपराधिक नहीं बल्कि कॉमर्शियल विवाद है। आपराधिक केस कहीं से नहीं बनता है। अदालत ने पक्ष जानने के बाद अग्रिम जमानत की सुविधा प्रदान की। बता दें कि केस होने के बाद महेंद्र सिंह धोनी के दोस्त सीमांत लोहानी का बयान दर्ज किया गया । बयान दर्ज होने के बाद अदालत ने मिहिर दिवाकर और सौम्या दास के खिलाफ समन जारी किया। समन जारी होने के बाद इनलोगों ने राहत के लिए अग्रिम जमानत याचिका दाखिल की। मिहिर दिवाकर की ओर से उनके अधिवक्ता ने तीन जून को याचिका दाखिल की थी।
क्या है आरोप :
दोनों आरोपियों पर फर्जीवाड़ा करके धोनी को 15 करोड़ रुपए की आर्थिक क्षति पहुंचाने का आरोप है। यह शिकायतवाद धोनी की ओर से सीमांत लोहानी ने दर्ज कराया है। धोनी के प्रतिनिधि सीमांत लोहानी ने अक्तूबर 2023 में मुकदमा किया है। दर्ज शिकायतवाद(13269/2023) पर पहली बार पांच जनवरी को अदालत में सुनवाई हुई थी। सुनवाई के दौरान मामले में धोनी के प्रतिनिधि सीमांत लोहानी का बयान शपथपत्र पर दर्ज किया गया। जिसमें उन्होंने मिहिर दिवाकर एवं सौम्या दास के ऊपर लगाए आरोपों के बारे में बयान दिया। आगे की सुनवाई में मामले में शिकायतकर्ता की ओर से साक्ष्य प्रस्तुत किया गया था। जिसके आधार पर अदालत ने संज्ञान लिया था।