विधानसभा नियुक्ति घोटालाः विधानसभा में नियुक्ति गड़बड़ी मामले में हाईकोर्ट ने सरकार को जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की रिपोर्ट शपथपत्र के माध्यम से कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया है। शिवशंकर शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस एके राय की अदालत ने सरकार को यह निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 19 जून को होगी।
पूर्व में सरकार ने जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय की सीलबंद रिपोर्ट कोर्ट में पेश की थी। अदालत इस बात को लेकर नाराज था कि सरकार ने निर्देश के बाद भी जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद आयोग की रिपोर्ट कोर्ट में शपथ पत्र के माध्यम से प्रस्तुत नहीं की थी। इस पर सरकार की ओर से बताया गया कि विधानसभा में जस्टिस मुखोपाध्याय आयोग की रिपोर्ट ही पेश हुई है इस कारण शपथपत्र के माध्यम से इसी को पेश किया गया है। इस पर अदालत ने जस्टिस विक्रमादित्य आयोग की रिपोर्ट भी शपथपत्र के माध्यम से पेश करने का निर्देश दिया।
दूसरे आयोग के गठन पर उठे थे सवाल
पिछली सुनवाई में सरकार ने कोर्ट को बताया था कि इस मामले की रिपोर्ट कैबिनेट के समक्ष पेश की गयी है। कैबिनेट ने उस पर कोई निर्णय नहीं लिया है। इस पर अदालत ने कहा था कि इस मामले में सरकार ने ही जांच आयोग बनाया था। आयोग ने राज्यपाल को रिपोर्ट सौंपी। राज्यपाल ने उस पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया। इसके बाद सरकार ने दोबारा आयोग का गठन क्यों किया। किस प्रावधान के तहत सरकार ने दूसरे आयोग का गठन किया। उसकी रिपोर्ट कैबिनेट में क्यों पेश की गयी। किस बिंदु के तहत ऐसा किया गया है इसकी पूरी जानकारी देने का निर्देश अदालत ने दिया था।
यह है पूरा मामला
वर्ष 2005 से 2007 के बीच झारखंड विधानसभा में विभिन्न पदों पर नियुक्ति हुई थी। नियुक्ति में गड़बड़ी की बात सामने आयी थी। इसके बाद सरकार ने जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद आयोग का गठन किया था। इस आयोग ने जांच पूरी कर राज्यपाल को रिपोर्ट सौंपी थी। राज्यपाल ने रिपोर्ट के आलोक में कार्रवाई करने का निर्देश दिया था, लेकिन विधानसभा ने कार्रवाई नहीं की थी। इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका में दायर की गयी है।