Ranchi: प्रथम और द्वितीय जेपीएससी सिविल सेवा और अन्य परीक्षाओं जांच और उसकी वर्तमान स्थिति से संबंधित सीलबंद रिपोर्ट सीबीआई ने झारखंड हाईकोर्ट में पेश किया।
हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा व जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने इस मामले पर 16 अगस्त को विस्तृत सुनवाई निर्धारित की।
जेपीएससी परीक्षाओं में गड़बड़ी का आरोप लगा कर बुद्धदेव उरांव ने वर्ष 2008 में जनहित याचिका दायर की थी। सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने इन परीक्षाओं की सीबीआई जांच करने का निर्देश दिया था और सभी सफल उम्मीदवारों की नियुक्ति पर रोक लगा दी थी।
इसके खिलाफ सरकार और प्रभावित पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने उम्मीदवारों की नियुक्ति पर रोक लगाने के हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी, लेकिन सीबीआई जांच के आदेश को बरकरार रखा था। सीबीआई ने इस मामले की प्रगति रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश की।
सरकार की अपील याचिका पर भी सुनवाई
चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ में जेपीएससी प्रथम और द्वितीय सिविल सेवा परीक्षा के मामले में एकलपीठ के आदेश के खिलाफ सरकार की अपील याचिका पर भी आंशिक सुनवाई हुई।
अदालत ने इस मामले पर भी 16 अगस्त को सुनवाई निर्धारित की। जेपीएससी के प्रथम और द्वितीय सिविल सेवा परीक्षा में गड़बड़ी के आरोप के बाद सरकार ने वर्ष 2011 में एसीबी जांच का आदेश दिया था।
एसीबी ने जांच के बाद 15 सफल उम्मीदवारों के चयन में गड़बड़ी पाते हुए उनकी नियुक्ति रद्द करने की सिफारिश की थी। सरकार ने एसीबी की सिफारिश के बाद सभी की नियुक्ति रद्द कर दी।
जेपीएससी परीक्षा की चल रही सीबीआई जांच
नियुक्ति रद्द करने के आदेश के खिलाफ सफल उम्मीदवारों ने एकलपीठ में याचिका दायर की। एकलपीठ ने सरकार के नियुक्ति रद्द करने के आदेश को निरस्त कर दिया।
एकलपीठ के आदेश के खिलाफ सरकार ने खंडपीठ में अपील दायर की। सफल उम्मीदवारों की ओर से अदालत को बताया गया कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद सभी की सेवा बहाल की गयी।
इसके बाद सरकार ने प्रमोशन भी दिया और सेवा संपुष्ट भी कर दिया। एक ओर सरकार प्रमोशन और सेवा संपुष्ट कर रही है, दूसरी ओर उनकी नियुक्ति के खिलाफ अपील याचिका भी दायर की है।
इस अपील याचिका पर सुनवाई को कोई औचित्य नहीं है। इसलिए अदालत सरकार की अपील याचिका निरस्त कर देना चाहिए। इस मामले में भी 16 अगस्त को सुनवाई होगी।