Gwalior: Murder आजीवन कारावास की सजा काट रहे नेपाल के एक नागरिक को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। अदालत ने हत्या के मामले को गैर इरादतन हत्या में बदल दिया है और नेपाली नागरिक के जेल में 14 साल की सजा काटी है, उसे ही पूरी सजा मान लिया गया है।
इसके बाद अदालत ने उसे रिहा करने के आदेश दिया हैं। नेपाली पर अस्पताल में एक बच्चे की हत्या कर दी थी और वह 2007 से जेल में बंद था। नेपाल की सेना से सेवानिवृत्त रामबहादुर थापा हैदराबाद जा रहा था। यह अपने भाई के साथ था।
ट्रेन से गिरने से भाई की मौत हो गई, जबकि रामबहादुर थापा विदिशा के पास घायल अवस्था में मिला। उसे विदिशा के अस्पताल में भर्ती कराया गया। उसके बेड के पास एक बच्चा भी भर्ती था। जब थापा को होश आया तो उसने बच्चे की हत्या कर दी।
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इस मामले में थाना कोतवाली विदिशा में केस दर्ज किया गया। आठ जून 2007 से वह जेल में बंद है। कोर्ट ने हत्या के मामले में 2011 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई। आजीवन कारावास की सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दाखिल की गई।
दस साल बाद उसकी अपील पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने अपील पर अंतिम सुनवाई कर फैसला सुरक्षित कर लिया। इस मामले में कोर्ट ने फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने कहा कि अपीलकर्ता की बच्चे से कोई दुश्मनी नहीं थी। उसके सिर में जो चोट आई थी, उससे उसका मानसिक संतुलन खराब हो गया था।
जब वह होश में आया तो वह मानसिक रूप से विचलित हो चुका था। अस्पताल में उसने हत्या को अंजाम दिया है, वह हत्या नहीं है, गैर इरादतन हत्या है। उसने जेल में जो 14 साल काटे हैं, उसी को पूरी सजा मानी जाए। इसके बाद अदालत ने उसे रिहा करने का आदेश दिया है।